भारत में उपराष्ट्रपति चुनाव: शशि थरूर ने उठाए गंभीर सवाल

उपराष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया में हलचल
उपराष्ट्रपति चुनाव: जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे के बाद भारत में नए उपराष्ट्रपति की खोज तेज हो गई है। इस संदर्भ में कांग्रेस सांसद और पूर्व राजनयिक शशि थरूर ने स्पष्ट रूप से कहा है कि चुनाव का परिणाम पहले से ही एनडीए गठबंधन के पक्ष में झुका हुआ प्रतीत होता है। थरूर के इस बयान ने राजनीतिक चर्चाओं को नया मोड़ दिया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता थरूर, जो अक्सर पार्टी की नीति से अलग अपने विचार व्यक्त करने के लिए जाने जाते हैं, ने इस बार उपराष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया और विपक्ष की भूमिका पर भी सवाल उठाए हैं।
थरूर का बयान
रविवार को मीडिया से बातचीत में थरूर ने कहा, 'हमें यह पता है कि यह एक ऐसा व्यक्ति होगा जिसे सत्तारूढ़ पार्टी नामित करेगी, क्योंकि हम पहले से ही मतदाताओं की संरचना को समझते हैं।' उन्होंने आगे कहा कि 'हमें उम्मीद है कि वे विपक्ष से भी सलाह लेंगे, लेकिन कौन जानता है?' थरूर के इस बयान से यह स्पष्ट होता है कि वे उपराष्ट्रपति पद के लिए एनडीए की संभावित जीत को मान चुके हैं, लेकिन साथ ही विपक्ष को नजरअंदाज किए जाने की चिंता भी व्यक्त कर रहे हैं।
कांग्रेस में मतभेद
थरूर का नाम तब चर्चा में आया जब मोदी सरकार ने उन्हें विदेशों में भारत के आतंकवाद विरोधी दृष्टिकोण को प्रस्तुत करने के लिए बहुदलीय प्रतिनिधिमंडल में शामिल किया। हालांकि, कांग्रेस ने इस निर्णय पर आपत्ति जताई कि यह पार्टी से परामर्श किए बिना लिया गया। अमेरिका यात्रा के दौरान थरूर द्वारा प्रधानमंत्री मोदी की प्रशंसा ने कांग्रेस नेतृत्व को और नाराज कर दिया। संसद में 'ऑपरेशन सिंदूर' पर हुई बहस में भी थरूर को बोलने का अवसर नहीं मिला। जब उनसे इस बारे में पूछा गया, तो उन्होंने केवल एक शब्द में उत्तर दिया।
उपराष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है?
21 जुलाई को जगदीप धनखड़ ने अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया, जिससे यह पहली बार हुआ है कि किसी उपराष्ट्रपति ने कार्यकाल समाप्त होने से पहले पद छोड़ा है। दिलचस्प बात यह है कि इस्तीफा देने के समय उनके कार्यकाल में अभी दो साल से अधिक समय बचा था और उन्होंने कोई अगली भूमिका भी स्पष्ट नहीं की।
उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव पूरी तरह से संसद के सदस्यों द्वारा किया जाता है। इसमें लोकसभा के 543 और राज्यसभा के 233 निर्वाचित और 12 मनोनीत सदस्य शामिल होते हैं। वर्तमान में कुछ सीटें रिक्त हैं, जिससे कुल प्रभावी निर्वाचक मंडल की संख्या 782 हो गई है। शशि थरूर ने कहा कि राष्ट्रपति चुनाव के विपरीत, इस प्रक्रिया में राज्यों की विधानसभाएं भाग नहीं लेतीं, जिससे सत्तारूढ़ दल की स्थिति और भी मजबूत हो जाती है।
धनखड़ का इस्तीफा
21 जुलाई को जगदीप धनखड़ ने अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया था, जिससे देश में पहली बार किसी उपराष्ट्रपति ने कार्यकाल समाप्त होने से पहले पद छोड़ा है। दिलचस्प बात यह है कि इस्तीफा देने के समय उनके कार्यकाल में अभी दो साल से अधिक समय बचा था और उन्होंने कोई अगली भूमिका भी स्पष्ट नहीं की।