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भारत में उपराष्ट्रपति पद के लिए सीपी राधाकृष्णन का नाम तय, राजनीतिक रणनीति का हिस्सा

भारतीय राजनीति में उपराष्ट्रपति पद के लिए सीपी राधाकृष्णन का नामांकन किया गया है, जो केंद्र की एनडीए सरकार का एक महत्वपूर्ण निर्णय है। यह नामांकन 2026 के तमिलनाडु विधानसभा चुनावों और दक्षिण भारत में बीजेपी के विस्तार की रणनीति का हिस्सा है। राधाकृष्णन का राजनीतिक सफर और उनके ओबीसी समुदाय से संबंध इस निर्णय को और भी महत्वपूर्ण बनाते हैं। जानें इस नामांकन के पीछे की रणनीति और राधाकृष्णन की राजनीतिक पृष्ठभूमि के बारे में।
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उपराष्ट्रपति पद के लिए सीपी राधाकृष्णन का चयन

भारतीय राजनीति में उपराष्ट्रपति पद को लेकर हलचल तेज हो गई है। केंद्र की एनडीए सरकार ने महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति पद के लिए नामित किया है, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्वीकृति भी मिली है। यह निर्णय केवल एक नाम की घोषणा नहीं है, बल्कि इसके पीछे 2026 के तमिलनाडु विधानसभा चुनावों और दक्षिण भारत में बीजेपी के विस्तार की रणनीति भी छिपी हुई है।


सीपी राधाकृष्णन का राजनीतिक सफर साधारण नहीं रहा है। उन्होंने 15 साल की उम्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़कर अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की। उन्होंने वर्षों तक जमीनी स्तर पर काम किया और संघ तथा भाजपा में अपनी पहचान बनाई। वे दो बार लोकसभा सांसद रह चुके हैं और वर्तमान में महाराष्ट्र के राज्यपाल के रूप में कार्यरत हैं।


राधाकृष्णन का संबंध तमिलनाडु के तिरुपुर जिले से है, जो इस समय राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। तमिलनाडु में बीजेपी को सीमित सफलता मिली है, जबकि राज्य की राजनीति में द्रविड़ पार्टियों का लंबे समय से वर्चस्व रहा है। बीजेपी की दक्षिण भारत में रणनीति में स्थानीय चेहरों और जातीय समीकरणों का विशेष महत्व है।


राधाकृष्णन ओबीसी समुदाय से आते हैं, जो तमिलनाडु में अल्पसंख्यक है, लेकिन बीजेपी की पारंपरिक राजनीति में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही है। उनके नाम का चयन कई स्तरों पर संदेश देने का प्रयास है, एक ओर तमिलनाडु की जनता को और दूसरी ओर संघ परिवार को यह बताना कि केंद्र की राजनीति में उनकी भागीदारी महत्वपूर्ण है।


बीजेपी और संघ की विचारधारा के प्रति उनकी निष्ठा, मजबूत संगठनात्मक पृष्ठभूमि, तमिलनाडु में सामाजिक स्वीकार्यता और उच्च जातीय समूहों में पकड़—ये सभी कारक उन्हें एक आदर्श उम्मीदवार बनाते हैं। उनके नाम की घोषणा दरअसल 2026 के चुनावों की तैयारी का हिस्सा है, जो भविष्य की सोच को दर्शाता है।