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भारत में जाति जनगणना की तारीख का ऐलान, दो चरणों में होगी प्रक्रिया

केंद्र सरकार ने जाति जनगणना की तारीख की घोषणा की है, जो अगले साल अक्टूबर में शुरू होगी। यह प्रक्रिया दो चरणों में होगी, जिसमें पहले चरण में उत्तर भारत के चार पहाड़ी राज्यों में जातियों की गिनती की जाएगी। दूसरे चरण में देश के अन्य राज्यों में जनगणना का कार्य होगा। यह जनगणना आजादी के बाद पहली बार जातियों की गिनती के साथ होगी। जानें इस महत्वपूर्ण प्रक्रिया के बारे में और अधिक जानकारी।
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भारत में जाति जनगणना की तारीख का ऐलान, दो चरणों में होगी प्रक्रिया

जाति जनगणना की प्रक्रिया का विवरण

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने जाति जनगणना की तारीख की घोषणा कर दी है। यह जनगणना अगले साल अक्टूबर में शुरू होगी और इसे दो चरणों में पूरा किया जाएगा। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बुधवार को जानकारी दी कि पहले चरण की शुरुआत 1 अक्टूबर 2026 से होगी। इस चरण में उत्तर भारत के चार पहाड़ी राज्यों, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर और लद्दाख में जातियों की गिनती की जाएगी। दूसरे चरण की शुरुआत 1 मार्च 2027 से होगी, जिसमें देश के अन्य राज्यों में जनगणना का कार्य होगा। यह आजादी के बाद पहली बार होगा जब जनगणना के साथ जातियों की गिनती की जाएगी।


गृह मंत्रालय ने एक प्रेस बयान में बताया कि जनगणना के साथ जातियों की गिनती भी कराई जाएगी। इसकी अधिसूचना 16 जून 2025 को आधिकारिक राजपत्र में जारी की जा सकती है। उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने 30 अप्रैल 2025 को कैबिनेट बैठक में जाति जनगणना कराने का निर्णय लिया था। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस फैसले की जानकारी देते हुए कहा था कि जातीय जनगणना जनगणना के साथ ही कराई जाएगी।


कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल जातीय जनगणना की मांग कर रहे हैं। हाल ही में बिहार में जातियों की गिनती की गई थी, और तेलंगाना ने भी जाति गणना कराई है। कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने 2015 में हुई जाति गणना की रिपोर्ट को सार्वजनिक किया है। ध्यान रहे कि देश में हर 10 साल में होने वाली जनगणना 2021 में नहीं हो पाई थी। आखिरी जनगणना 2011 में हुई थी, जब मनमोहन सिंह की सरकार ने सामाजिक, आर्थिक और जातिगत जनगणना कराई थी। इसे ग्रामीण विकास मंत्रालय, शहरी विकास मंत्रालय और गृह मंत्रालय ने मिलकर किया था। हालांकि, इस सर्वेक्षण के आंकड़े कभी भी सार्वजनिक नहीं किए गए।


पिछली जनगणना के बाद केवल अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के आंकड़े जारी किए गए थे। यह ध्यान देने योग्य है कि जनगणना कानून में केवल अनुसूचित जातियों और जनजातियों की गणना का प्रावधान है। अन्य पिछड़ी जातियों और सामान्य वर्ग की जातियों की गणना के लिए कानून में संशोधन करना होगा। हाल ही में दिल्ली में एनडीए के मुख्यमंत्रियों का सम्मेलन हुआ था, जिसमें जातीय गणना को लेकर प्रस्ताव पारित किया गया था।