भारत में जीएसटी में संभावित बदलाव: रोज़मर्रा की वस्तुओं पर टैक्स में कमी
जीएसटी काउंसिल की बैठक में प्रस्तावित बदलाव
भारत सरकार वस्तु एवं सेवा कर (GST) प्रणाली में महत्वपूर्ण बदलाव करने की योजना बना रही है। 3 और 4 सितंबर 2025 को होने वाली जीएसटी काउंसिल की बैठक में कई महत्वपूर्ण प्रस्तावों पर चर्चा की जाएगी। इनमें से एक प्रमुख सुझाव यह है कि खाद्य पदार्थों और कपड़ों पर एक समान 5 प्रतिशत टैक्स लागू किया जाए। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम कर प्रणाली को सरल बनाने के साथ-साथ उपभोक्ताओं के लिए वित्तीय बोझ को भी कम कर सकता है।अभी तक विभिन्न उत्पादों पर अलग-अलग टैक्स दरें लागू हैं, जिससे वर्गीकरण विवाद उत्पन्न होते हैं। जीएसटी 2.0 योजना के तहत, सभी खाद्य और परिधान वस्तुओं को सीधे 5 प्रतिशत टैक्स दर में लाने का प्रस्ताव है। यदि काउंसिल इसे मंजूरी देती है, तो यह खुदरा उपभोक्ताओं और छोटे व्यवसायों के लिए राहत का कारण बनेगा।
बैठक में सीमेंट पर टैक्स में कटौती पर भी चर्चा होने की संभावना है। वर्तमान में सीमेंट पर 28 प्रतिशत जीएसटी लगाया जा रहा है, जिसे घटाकर 18 प्रतिशत करने पर विचार किया जा रहा है। यह निर्णय निर्माण लागत को कम कर सकता है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक निर्माण क्षेत्र में कीमतों की पारदर्शिता नहीं आती, तब तक इसका वास्तविक लाभ उपभोक्ताओं तक नहीं पहुंचेगा।
जीएसटी काउंसिल एक और महत्वपूर्ण प्रस्ताव पर विचार कर रही है, जिसमें जीवन बीमा और स्वास्थ्य बीमा को जीरो टैक्स स्लैब में डालने का सुझाव है। यदि यह लागू होता है, तो बीमा प्रीमियम की दरें घटेंगी और अधिक लोग बीमा सेवाओं का लाभ उठा सकेंगे। सरकार का मानना है कि यह पहल सामाजिक सुरक्षा को बढ़ाने और व्यापक स्वास्थ्य कवरेज को प्रोत्साहित करने में सहायक हो सकती है।
जीएसटी लागू होने के आठ साल बाद भी कर ढांचे में जटिलताएं बनी हुई हैं। उपभोक्ताओं और व्यवसायों की शिकायत है कि रोजमर्रा की वस्तुओं पर जटिल टैक्स संरचना बोझ बढ़ाती है। अब सरकार टैक्स को सरल और न्यायसंगत बनाने की दिशा में कदम उठा रही है।
यदि प्रस्ताव पास होते हैं, तो रोजमर्रा की वस्तुएं सस्ती हो सकती हैं, निर्माण लागत में कमी आ सकती है, और बीमा सेवाएं आम जनता तक तेजी से पहुंच सकती हैं। यह बैठक उपभोक्ताओं और कारोबारी जगत के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।