भारत में ब्रिटिश विश्वविद्यालयों का नया अभियान: शिक्षा में सहयोग का नया अध्याय

भारत-यूके शिक्षा साझेदारी की नई शुरुआत
भारत-यूके शिक्षा साझेदारी: ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर की यात्रा के दौरान, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह घोषणा की कि नौ ब्रिटिश विश्वविद्यालय भारत में अपने कैंपस स्थापित करेंगे। यह यात्रा, जो अब तक के सबसे बड़े ब्रिटिश शिक्षा प्रतिनिधिमंडल के साथ हुई, दोनों देशों के बीच शैक्षिक संबंधों को और मजबूत करने का संकेत देती है.
शैक्षिक संबंधों को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है, जिसमें साउथेम्प्टन विश्वविद्यालय समेत नौ प्रमुख ब्रिटिश विश्वविद्यालय भारत में अपने कैंपस खोलेंगे। साउथेम्प्टन विश्वविद्यालय का गुरुग्राम परिसर पहले ही शुरू हो चुका है, और वहां छात्रों का पहला बैच नामांकित हो चुका है.
शिक्षा में नवाचार और कौशल विकास को बढ़ावा
यह पहल भारत-ब्रिटेन शैक्षिक सहयोग में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है और यह भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप है। इसका उद्देश्य भारतीय छात्रों को बिना देश छोड़े विश्वस्तरीय शिक्षा प्रदान करना है, साथ ही नवाचार और कौशल विकास को बढ़ावा देने के लिए सहयोगात्मक अनुसंधान और शिक्षा-उद्योग साझेदारी को प्रोत्साहित करना है.
ब्रिटिश विश्वविद्यालयों की भारत में कैंपस स्थापना
ब्रिटेन के पांच प्रमुख विश्वविद्यालयों ने भारत के विभिन्न शहरों में अपने कैंपस स्थापित करने की योजना बनाई है। साउथेम्प्टन के अलावा, ब्रिस्टल विश्वविद्यालय को मुंबई में एक नया एंटरप्राइज कैंपस खोलने के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से मंजूरी मिल चुकी है, जहां 2026 की गर्मियों में छात्रों का स्वागत किया जाएगा. पीएमओ के आधिकारिक हैंडल पर यह जानकारी साझा की गई है कि 'प्रधानमंत्री स्टारमर के साथ शिक्षा क्षेत्र का अब तक का सबसे बड़ा और प्रभावशाली प्रतिनिधिमंडल आया है.'
ब्रिटिश विश्वविद्यालयों की सूची
साउथेम्प्टन विश्वविद्यालय - गुरुग्राम (कैंपस पहले से चालू है)
2. लिवरपूल विश्वविद्यालय - बैंगलोर
3. यॉर्क विश्वविद्यालय - मुंबई
4. एबरडीन विश्वविद्यालय - मुंबई
5. ब्रिस्टल विश्वविद्यालय - मुंबई
विजन 2035: शिक्षा में एक नया युग
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर 8-9 अक्टूबर को भारत की अपनी पहली आधिकारिक यात्रा पर हैं। इस यात्रा के दौरान, दोनों नेताओं ने विज़न 2035 रोडमैप के तहत भारत-ब्रिटेन व्यापक रणनीतिक साझेदारी की प्रगति की समीक्षा की। यह 10-वर्षीय योजना व्यापार, निवेश, प्रौद्योगिकी, नवाचार, रक्षा, सुरक्षा, जलवायु, ऊर्जा, स्वास्थ्य, शिक्षा और लोगों के बीच संबंधों को मज़बूत करने पर केंद्रित है.
इस यात्रा के दौरान ब्रिटेन के सबसे बड़े व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल का आगमन भी हुआ है, जो द्विपक्षीय संबंधों में नई ऊर्जा का प्रतीक है. हाल ही में हस्ताक्षरित व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौते से आयात लागत में कमी, युवाओं के लिए नए रोजगार अवसर, व्यापार को बढ़ावा और दोनों देशों के उद्योगों और उपभोक्ताओं को लाभ मिलने की उम्मीद है.
भारत-ब्रिटेन शिक्षा सहयोग के लाभ
जुलाई 2025 में प्रधानमंत्री मोदी की ब्रिटेन यात्रा के दौरान अपनाए गए भारत-ब्रिटेन विजन 2035 रोडमैप ने उच्च शिक्षा में सहयोग के नए रास्ते खोले हैं। भारत में ब्रिटिश विश्वविद्यालय परिसरों की स्थापना से निम्नलिखित की उम्मीद है;
- भारतीय छात्रों को वैश्विक स्तर की शिक्षा तक पहुंच प्रदान करना.
- भारतीय और ब्रिटिश संस्थानों के बीच सहयोगात्मक अनुसंधान को बढ़ावा देना.
- शिक्षा-उद्योग संबंधों को मजबूत करना.
यह पहल भारत-ब्रिटेन शैक्षिक संबंधों में एक प्रमुख मील का पत्थर मानी जा रही है, जो विश्व स्तरीय शिक्षा को घर के करीब लाएगी और दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करेगी.