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भारत-यूके व्यापार समझौता: पीएम मोदी ने साझा विकास की बात की

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत-यूके व्यापार समझौते को साझा विकास का एक महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने सीईओ फोरम में द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करने का लक्ष्य रखा। इसके साथ ही, भारत और ब्रिटेन के बीच 468 मिलियन डॉलर की रक्षा साझेदारी पर भी हस्ताक्षर हुए। पीएम मोदी ने खालिस्तानी चरमपंथ पर भी चर्चा की, जिसमें उन्होंने ब्रिटेन से कार्रवाई की अपील की। जानें इस समझौते के पीछे की रणनीति और इसके संभावित लाभ।
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भारत-यूके व्यापार समझौता: पीएम मोदी ने साझा विकास की बात की

भारत-यूके व्यापार समझौते का महत्व

मुंबई - प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को कहा कि भारत और यूके के बीच व्यापार समझौता दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं के लिए साझा विकास और समृद्धि का एक महत्वपूर्ण कदम है। यह समझौता न केवल मार्केट एक्सेस को बढ़ाएगा, बल्कि दोनों देशों के छोटे और मध्यम उद्यमों (MSMEs) को भी सशक्त करेगा, जिससे लाखों युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर उत्पन्न होंगे।


सीईओ फोरम में पीएम मोदी का संबोधन

प्रधानमंत्री मोदी ने भारत-यूके सीईओ फोरम में कहा, "वर्तमान में हमारा द्विपक्षीय व्यापार लगभग 56 अरब डॉलर है, और हमने इसे 2050 तक दोगुना करने का लक्ष्य रखा है। मुझे पूरा विश्वास है कि हम इस लक्ष्य को समय से पहले प्राप्त कर लेंगे। भारत में राजनीतिक स्थिरता और व्यापक मांग है, और हर क्षेत्र में बड़े अवसर मौजूद हैं, जैसे कि इन्फ्रास्ट्रक्चर, वित्त और फार्मास्यूटिकल्स।" उन्होंने भारत की अर्थव्यवस्था की सुधारों की दिशा में बढ़ती क्षमता का भी उल्लेख किया।


रक्षा साझेदारी पर महत्वपूर्ण समझौता

रक्षा साझेदारी पर हस्ताक्षर
प्रधानमंत्री मोदी और ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर के बीच द्विपक्षीय बैठक में भारत और ब्रिटेन ने 468 मिलियन डॉलर (लगभग 3884 करोड़ रुपये) की एक महत्वपूर्ण रक्षा साझेदारी पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते के तहत ब्रिटेन भारतीय सेना को हल्के वजन वाली बहुउद्देशीय मिसाइलें प्रदान करेगा, जिनका निर्माण फ्रांसीसी कंपनी थेल्स द्वारा किया जाएगा। ब्रिटिश सरकार ने इसे अपने रक्षा क्षेत्र और भारत के साथ गहरे सामरिक संबंधों के लिए एक ऐतिहासिक मील का पत्थर बताया है।


खालिस्तानी चरमपंथ पर चर्चा

‘ब्रिटेन खालिस्तानी चरमपंथियों के खिलाफ कार्रवाई करे’
पीएम मोदी ने स्टार्मर के साथ खालिस्तान के मुद्दे पर भी चर्चा की। भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बताया कि दोनों नेताओं के बीच इस विषय पर विस्तार से बातचीत हुई। पीएम मोदी ने कहा कि लोकतांत्रिक समाजों में कट्टरपंथ और हिंसक उग्रवाद के लिए कोई स्थान नहीं है। उन्होंने स्टार्मर से कहा कि दोनों देशों को खालिस्तानी तत्वों के खिलाफ कानूनी विकल्पों का उपयोग करना चाहिए।