भारत-रूस संबंधों पर अमेरिका का दबाव: क्या होगा आगे?

भारत और रूस की पुरानी मित्रता
नई दिल्ली। भारत और रूस के बीच संबंध काफी गहरे और पुरातन हैं। शीत युद्ध के दौरान भी रूस ने भारत का समर्थन किया है। वैश्विक मंचों पर भी रूस ने भारत का साथ दिया है। अब अमेरिका ने भारत को चेतावनी दी है कि वह रूस से तेल आयात बंद करे। ऐसे में भारत का क्या रुख होगा और अमेरिका की इस धमकी को भारत, चीन और ब्राजील जैसे देश कैसे लेंगे? क्या अमेरिका अपने टैरिफ युद्ध को जारी रखेगा या फिर नरमी दिखाएगा?
लिंडसे ग्राहम की चेतावनी
अमेरिकी सीनेटर लिंडसे ग्राहम ने भारत, चीन और ब्राजील को स्पष्ट रूप से धमकी दी है कि यदि वे रूस से तेल खरीदना जारी रखते हैं, तो अमेरिका उनकी अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा सकता है। यह चेतावनी रूस को यूक्रेन के खिलाफ मिलने वाली आर्थिक सहायता को रोकने के लिए दी गई है। ग्राहम ने फॉक्स न्यूज के साथ बातचीत में कहा कि अमेरिका इन देशों पर 100% तक टैरिफ लगा सकता है।
रूस-यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि
रूस और यूक्रेन के बीच 24 फरवरी 2022 से युद्ध चल रहा है, जिसमें अमेरिका यूक्रेन का समर्थन कर रहा है। अमेरिका नहीं चाहता कि रूस यूक्रेन पर लगातार हमले करता रहे। भारत, चीन और ब्राजील जैसे देश रूस से तेल खरीदते हैं, जिसका उपयोग रूस यूक्रेन के खिलाफ करता है। अमेरिका इस आय को रोकने के लिए जी-7 देशों ने रूस पर कई प्रतिबंध लगाए हैं, लेकिन रूस को तेल बेचकर आय मिलती रहती है, जिससे अमेरिका चिंतित है।
भारत का रुख
अमेरिका चाहता है भारत छोड़े रूस का साथ
अमेरिका चाहता है कि भारत रूस का साथ छोड़कर पश्चिमी देशों के साथ खड़ा हो जाए, लेकिन भारत इस मुद्दे पर अमेरिका के साथ नहीं है। भारत अपनी पुरानी मित्रता को बनाए रखना चाहता है। अमेरिका के दबाव के बावजूद, भारत ने अमेरिका से तेल खरीदना बंद नहीं किया है। रूस केवल तेल ही नहीं, बल्कि भारत को सैन्य सहायता भी प्रदान करता है।