भारत-रूस संबंधों में नई ऊर्जा: मोदी और पुतिन की द्विपक्षीय वार्ता के प्रमुख बिंदु
नई दिल्ली में मोदी और पुतिन की महत्वपूर्ण बैठक
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच हाल ही में हुई द्विपक्षीय वार्ता ने भारत-रूस के संबंधों को एक नई दिशा दी है। इस बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में दोनों देशों ने आपसी सहयोग को और मजबूत करने, आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर लड़ाई जारी रखने और आर्थिक साझेदारी को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की बात की। पीएम मोदी ने भारत-रूस की मित्रता को स्थिर और भरोसेमंद बताया, जो दशकों से अंतरराष्ट्रीय उतार-चढ़ाव के बावजूद मजबूत बनी हुई है।
ध्रुव तारे जैसी अटूट मित्रता
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पिछले 80 वर्षों में दुनिया ने कई संकट और युद्ध देखे हैं, लेकिन इन सबके बीच भारत और रूस की दोस्ती कभी कमजोर नहीं हुई। दोनों देशों के रिश्ते परस्पर सम्मान, भरोसे और सहयोग पर आधारित हैं, जो हर चुनौती का सामना करने में सक्षम हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि क्रिटिकल मिनरल्स के क्षेत्र में सहयोग भविष्य की आवश्यकता है और दोनों देश इस दिशा में मिलकर काम करेंगे। यूक्रेन मुद्दे पर भारत ने फिर से स्पष्ट किया कि वह हमेशा शांति और संवाद का समर्थन करता है।
आतंकवाद के खिलाफ मिलकर लड़ाई का संकल्प
संयुक्त बयान में आतंकवाद पर विशेष ध्यान दिया गया। पीएम मोदी ने कहा कि आतंकवाद मानवता के मूल्यों पर सीधा हमला है और भारत-रूस इसके खिलाफ मिलकर कार्रवाई जारी रखेंगे। राष्ट्रपति पुतिन ने भी सुरक्षा सहयोग को और मजबूत करने की आवश्यकता पर जोर दिया और आश्वासन दिया कि रूस बिना किसी दबाव के भारत की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करता रहेगा।
आर्थिक साझेदारी को नई ऊंचाई देने का लक्ष्य
- दोनों देशों ने 2030 तक आर्थिक सहयोग कार्यक्रम को आगे बढ़ाने पर सहमति जताई।
- भारत और रूस स्वतंत्र व्यापार समझौते (FTA) को जल्द पूरा करने के लिए प्रयास तेज कर रहे हैं।
- द्विपक्षीय व्यापार को 100 अरब डॉलर सालाना तक ले जाने पर भी विचार हो रहा है।
- दोनों देश भुगतान निपटान में अपनी राष्ट्रीय मुद्राओं के उपयोग की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।
- पुतिन ने छोटे मॉड्यूलर न्यूक्लियर रिएक्टर और फ्लोटिंग परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के निर्माण में सहयोग का प्रस्ताव रखा।
कौन-कौन से समझौते हुए?
बैठक के दौरान कई महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए। प्रवासन और आसान आवाजाही पर समझौता, जिससे दोनों देशों के नागरिकों के लिए नौकरी और व्यवसाय के अवसर सरल होंगे। स्वास्थ्य एवं खाद्य सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देने वाले समझौते भी शामिल हैं। इसके अलावा, बंदरगाह और पोत परिवहन पर समझौता ज्ञापन, जो व्यापारिक कनेक्टिविटी को मजबूत करेगा।
