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भारत-रूस संबंधों में नया मोड़: व्यापार में वृद्धि की संभावनाएं

भारत और रूस के बीच संबंधों में एक नया मोड़ आया है, जिसमें भारत ने रूस के लिए 300 से अधिक उच्च क्षमता वाले उत्पादों की पहचान की है। पुतिन के हालिया दौरे के बाद, भारत ने व्यापार में वृद्धि की दिशा में कदम उठाए हैं। वर्तमान में, भारत का रूस के साथ व्यापार में बड़ा असंतुलन है, लेकिन दोनों देशों ने 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 100 बिलियन डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। जानें इस संबंध में और क्या संभावनाएं हैं।
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भारत-रूस संबंधों में नया मोड़: व्यापार में वृद्धि की संभावनाएं

भारत और रूस की गहरी दोस्ती

भारत और रूस के बीच संबंध बेहद मजबूत हैं। रूस ने हर परिस्थिति में भारत का समर्थन किया है। अक्सर यह कहा जाता है कि जब दो लोग एक-दूसरे के बारे में बात करते हैं, तो वे बचपन के दोस्तों की तरह होते हैं। इसी तरह, भारत और रूस के बीच भी एक पुरानी दोस्ती है, जिसमें कई उतार-चढ़ाव आए हैं। कभी रक्षा सौदों में, कभी ऊर्जा क्षेत्र में, और अब व्यापार के नए मोर्चों पर। हाल ही में, पुतिन के भारत दौरे के बाद, भारत ने एक ऐसा कदम उठाया है जो आने वाले वर्षों में भारत-रूस व्यापार की दिशा को बदल सकता है।


भारत का नया व्यापारिक कदम

भारत ने रूस को निर्यात करने के लिए 300 से अधिक उच्च क्षमता वाले उत्पादों की सूची तैयार की है। पुतिन का भारत दौरा केवल कूटनीतिक मुलाकात नहीं था, बल्कि इसके पीछे डॉलर प्रणाली से बाहर निकलने की सोच और स्थानीय मुद्रा में व्यापार करने की रणनीति थी। भारत ने रूस के लिए करीब 300 उत्पादों की पहचान की है, जिनकी वहां भारी मांग है।


व्यापार में असंतुलन

वर्तमान में, भारत इन उत्पादों में रूस को केवल 1.7 बिलियन डॉलर का निर्यात करता है, जबकि रूस इन्हीं श्रेणियों में 37.4 बिलियन डॉलर का आयात करता है। इस प्रकार, भारत के लिए लगभग 35 बिलियन डॉलर का आयात अंतर है। भारत और रूस ने तय किया है कि 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 100 बिलियन डॉलर तक पहुंचाया जाएगा।


रूस में भारत की संभावनाएं

रूस भारत के कुल कच्चे तेल के आयात का लगभग 21% आपूर्ति करता है। भारत की रूस में हिस्सेदारी केवल 2.3% है, जिससे भारत के लिए वहां प्रवेश की बड़ी संभावनाएं हैं। भारत ने उन उत्पादों पर ध्यान केंद्रित करने की रणनीति बनाई है, जिनकी रूस को आवश्यकता है।