भारत-रूस संबंधों में नया विवाद: ड्रोन में भारतीय पुर्जों की पहचान

भारत और रूस के बीच बढ़ते तनाव
भारत और रूस के बीच तेल व्यापार और रक्षा संबंधों पर अमेरिका पहले से ही सवाल उठा रहा है, और अब एक नया मुद्दा सामने आया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, रूस द्वारा यूक्रेन पर किए गए ड्रोन हमलों में इस्तेमाल होने वाले Shahed-136 ड्रोन में भारत में निर्मित कुछ इलेक्ट्रॉनिक घटक पाए गए हैं। इस पर यूक्रेन ने यूरोपीय संघ और भारत सरकार के खिलाफ औपचारिक शिकायत दर्ज की है.
ट्रंप की प्रतिक्रिया
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत की रूस से तेल खरीद पर नाराजगी जताई है, जबकि भारत ने स्पष्ट किया है कि उसने जो कुछ भी किया है, वह अपने राष्ट्रीय हितों के तहत और कानूनी रूप से किया है। इस घटनाक्रम ने अमेरिका की दोहरी नीति और वैश्विक राजनीति के जटिल पहलुओं को एक बार फिर उजागर किया है.
ड्रोन में भारतीय घटकों का मामला
यूक्रेन का आरोप है कि रूस के Shahed-136 ड्रोन में भारत की दो कंपनियों, विषय इंटरटेक्नोलॉजी और ऑरा सेमीकंडक्टर, द्वारा निर्मित घटक शामिल हैं। इनमें वोल्टेज रेगुलेटर, चिप्स और GPS जैमर-प्रूफ एंटेना शामिल हैं। यूक्रेन ने इस जानकारी को भारतीय विदेश मंत्रालय और यूरोपीय संघ के अधिकारियों के समक्ष प्रस्तुत किया है. रिपोर्टों के अनुसार, ये घटक भारत में बने या असेंबल किए गए थे और फिर किसी तीसरे देश के माध्यम से रूस तक पहुंचे.
भारत का स्पष्टीकरण
भारत सरकार ने स्पष्ट किया है कि वह द्वि-उपयोगी वस्तुओं का निर्यात अंतरराष्ट्रीय कानून और परमाणु अप्रसार नियमों के तहत करती है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि सभी निर्यात सख्त जांच और कानून के अनुसार होते हैं। कंपनियों ने भी कहा है कि जब उत्पाद एक बार तीसरे देश को बेचे जाते हैं, तो उनकी यात्रा को ट्रैक करना संभव नहीं होता.
क्या भारत की गलती है?
कानूनी दृष्टि से नहीं। तकनीकी दृष्टि से, भारत की कंपनियों ने कोई कानून नहीं तोड़ा है। यह भी स्पष्ट नहीं है कि यह निर्यात रूस या ईरान को किया गया था। संभव है कि ये घटक किसी अन्य देश को वैध रूप से बेचे गए हों और वहां से होकर रूस पहुंचे हों। कंपनियों ने यह भी स्पष्ट किया है कि वे सभी अंतरराष्ट्रीय नियमों का पालन करती हैं.
ट्रंप की नाराजगी का कारण
डोनाल्ड ट्रंप पहले ही भारत की रूस से तेल खरीद की आलोचना कर चुके हैं। अब जब ड्रोन में भारतीय घटकों की पहचान हुई है, तो अमेरिका का रुख और सख्त हो सकता है। हालांकि, भारत ने रूस से तेल खरीद पर यह कहते हुए जवाब दिया था, 'हमने खरीदा क्योंकि हमें खरीदना था।' यह बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और अमेरिका की कथित 'डबल स्टैंडर्ड' नीति को उजागर करने वाला माना गया.