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भारतीय प्रवासियों के लिए अमेरिका में बढ़ती असुरक्षा के संकेत

हाल की घटनाएँ अमेरिका में भारतीय प्रवासियों की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएँ पैदा कर रही हैं। डलास में एक होटल प्रबंधक की हत्या और कैलिफ़ोर्निया में एक सुरक्षा गार्ड की गोलीबारी जैसी घटनाएँ इस बात का संकेत हैं कि अमेरिका अब भारतीयों के लिए एक सुरक्षित स्थान नहीं रह गया है। इसके अलावा, अमेरिकी राजनीति में प्रवासी-विरोधी प्रवृत्तियाँ भी उभर रही हैं। क्या भारत को अब अपने युवाओं को अमेरिका भेजने पर पुनर्विचार करना चाहिए? जानें इस स्थिति के पीछे के कारण और संभावित समाधान।
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भारतीय प्रवासियों के लिए अमेरिका में बढ़ती असुरक्षा के संकेत

अमेरिका में भारतीयों की सुरक्षा पर चिंता

अमेरिका को लंबे समय से भारतीय युवाओं और पेशेवरों के लिए अवसरों की भूमि माना जाता रहा है। हालाँकि, हाल की घटनाएँ इस धारणा को चुनौती दे रही हैं। यह देश अब भारतीयों के लिए एक भयावह और असुरक्षित स्थान बनता जा रहा है। हाल के दिनों में तीन अलग-अलग घटनाएँ हुई हैं, जिन्होंने प्रवासी भारतीयों की सुरक्षा और भविष्य पर गंभीर सवाल उठाए हैं।


डलास में हुई हत्या की घटना

पहली घटना डलास (टेक्सास) की है, जहाँ 50 वर्षीय भारतीय मूल के होटल प्रबंधक चंद्रमौली नागमल्लैया को एक स्थानीय होटल कर्मचारी ने उनकी पत्नी और बेटे के सामने बेरहमी से मार डाला। विवाद का कारण एक टूटी हुई वॉशिंग मशीन का इस्तेमाल था। आरोपी ने नागमल्लैया का सिर धड़ से अलग कर डस्टबिन में फेंक दिया। संदिग्ध को गिरफ्तार कर लिया गया है, जो होटल प्रबंधक का सहकर्मी है। यह घटना डलास के ‘डाउनटाउन सुइट्स’ होटल में हुई।


कैलिफ़ोर्निया में सुरक्षा गार्ड की हत्या

दूसरी घटना कैलिफ़ोर्निया की है, जहाँ हरियाणा के जिंद जिले के 26 वर्षीय कपिल, जो एक सुरक्षा गार्ड के रूप में कार्यरत थे, को गोली मार दी गई। यह घटना तब हुई जब उन्होंने एक व्यक्ति को सड़क पर पेशाब करने से रोका। कपिल ने तीन साल पहले अमेरिका पहुँचने के लिए अपने परिवार की जमा-पूँजी, लगभग 45 लाख रुपये, खर्च की थी।


राजनीतिक बयानबाज़ी और प्रवासी-विरोधी प्रवृत्तियाँ

तीसरी घटना अमेरिकी दक्षिणपंथी नेता चार्ली किर्क से जुड़ी है, जिन्होंने हाल ही में भारतीयों के खिलाफ बयान दिया था। उन्होंने कहा कि अमेरिका को अब भारत से और वीज़ा की ज़रूरत नहीं है, क्योंकि भारतीयों ने अमेरिकी नौकरियाँ छीन ली हैं। यह बयान अमेरिकी राजनीतिक विमर्श में उभरती प्रवासी-विरोधी प्रवृत्ति का संकेत है।


चिंताजनक तस्वीर

इन घटनाओं को मिलाकर देखा जाए तो स्थिति चिंताजनक है। प्रवासी भारतीय मामूली कारणों पर जान गँवा रहे हैं, जबकि अमेरिकी राजनीति में उन्हें आर्थिक प्रतिस्पर्धी और बोझ के रूप में देखा जा रहा है। कपिल की मौत यह दर्शाती है कि आर्थिक मजबूरी में भारतीय परिवार अपने बच्चों को खतरनाक रास्तों से अमेरिका भेजते हैं। वहीं, डलास की घटना यह स्पष्ट करती है कि अमेरिकी कानून-व्यवस्था प्रवासियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में असफल है।


भारतीय समाज और सरकार के सामने प्रश्न

इस परिस्थिति में भारतीय समाज और सरकार दोनों के सामने गंभीर प्रश्न हैं। क्या हम अब भी अमेरिका को अवसरों की भूमि मानकर अपनी युवा शक्ति को वहाँ भेजते रहेंगे? क्या समय नहीं आ गया कि भारत अपने यहाँ ऐसे अवसर और माहौल बनाए, जिससे युवाओं को जान जोखिम में डालकर विदेश जाने की मजबूरी न रहे? भारत सरकार को अमेरिका पर दबाव बनाकर प्रवासी भारतीयों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। अमेरिका का सपना अब टूट रहा है, और यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि यह सपना कहीं दुःस्वप्न में न बदल जाए।