भारतीय रिजर्व बैंक ने रेपो रेट को स्थिर रखा, डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए उठाए कदम

रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं
मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक ने एक बार फिर से रेपो रेट में कोई कमी नहीं की है। यह दर 5.5 प्रतिशत पर स्थिर बनी हुई है। पहले यह उम्मीद की जा रही थी कि जीएसटी में कटौती के चलते महंगाई दर में कमी आएगी, जिससे केंद्रीय बैंक ब्याज दरों में कमी कर सकता है। लेकिन मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद, केंद्रीय बैंक ने ब्याज दरों को अपरिवर्तित रखने का निर्णय लिया है। इसका असर आवास और गृह कर्ज की किश्तों पर भी पड़ेगा, जो अब जस की तस रहेंगी।
मौद्रिक नीति समिति की बैठक के परिणाम
भारतीय रिजर्व बैंक ने लगातार दूसरी बार रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है, इसे 5.5 प्रतिशत पर बनाए रखा गया है। इससे पहले अगस्त में भी इसी तरह का निर्णय लिया गया था। रिजर्व बैंक ने देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि का अनुमान 6.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.8 प्रतिशत कर दिया है। यह बैठक 29 सितंबर से 1 अक्टूबर तक आयोजित की गई थी, जिसके बाद रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने जानकारी साझा की।
ब्याज दरों को स्थिर रखने का कारण
गवर्नर ने बताया कि समिति के सभी सदस्यों ने ब्याज दरों को स्थिर रखने का समर्थन किया। जीएसटी में कटौती के बाद महंगाई में कमी के कारण इसे बढ़ाने का निर्णय नहीं लिया गया। उल्लेखनीय है कि इस वर्ष रिजर्व बैंक ने तीन बार ब्याज दरों में कटौती की है। फरवरी में, दर को 6.5 से घटाकर 6.25 प्रतिशत किया गया था, जो लगभग पांच वर्षों में पहली बार था। इसके बाद अप्रैल और जून में भी क्रमशः 0.25 और 0.50 प्रतिशत की कटौती की गई।
अन्य महत्वपूर्ण निर्णय
रेपो रेट को स्थिर रखने के अलावा, रिजर्व बैंक ने 1 अक्टूबर को कई अन्य महत्वपूर्ण निर्णय भी लिए। बैंक ने कंपनियों और आम लोगों के लिए लोन लेना आसान और सस्ता बना दिया है। इसके साथ ही, यूपीआई शुल्क को लेकर लोगों की चिंताओं को भी दूर किया गया है। गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बैठक के बाद स्पष्ट किया कि यूपीआई लेन-देन पर कोई शुल्क लगाने का प्रस्ताव नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार और रिजर्व बैंक डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए यूपीआई को मुफ्त रखने की योजना बना रहे हैं।