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भारतीय रुपये में ऐतिहासिक गिरावट, शेयर बाजार पर पड़ेगा असर

भारतीय रुपये ने मंगलवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले एक नया रिकॉर्ड गिरावट दर्ज किया है, जो 91.03 पर पहुंच गया। इस गिरावट का मुख्य कारण वॉशिंगटन से आने वाला टैरिफ दबाव और विदेशी निवेशकों का निरंतर बाहर जाना है। रुपये की कमजोरी के चलते शेयर बाजार पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ने की संभावना है। पिछले दो दिनों से रुपये में गिरावट का सिलसिला जारी है, जिससे निवेशकों में चिंता बढ़ गई है। जानें इस गिरावट के पीछे के कारण और इसके संभावित आर्थिक प्रभावों के बारे में।
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रुपये की गिरावट का नया रिकॉर्ड

नई दिल्ली। मंगलवार को भारतीय रुपये में एक बड़ी गिरावट आई है, जो अब तक के सबसे निचले स्तर 91.03 पर पहुंच गया है। यह गिरावट अमेरिकी डॉलर के मुकाबले हुई है, और इसका प्रभाव शेयर बाजार पर भी देखने को मिल सकता है।


गिरावट के कारण

इस गिरावट का मुख्य कारण वॉशिंगटन से आने वाला टैरिफ दबाव है, जो भारत के व्यापार और पूंजी प्रवाह को प्रभावित कर रहा है। डॉलर की बढ़ती मांग और विदेशी निवेशकों का निरंतर बाहर जाना भी रुपये पर दबाव डाल रहा है।


लगातार गिरावट का सिलसिला

रुपये में गिरावट का यह सिलसिला पिछले दो दिनों से जारी है। सोमवार को रुपये ने 90.74 के स्तर पर बंद होकर 25 पैसे की गिरावट दर्ज की थी।


आर्थिक अनिश्चितता का प्रभाव

रुपये की कमजोरी बड़े आर्थिक अनिश्चितताओं और अंतरराष्ट्रीय व्यापार मुद्दों के कारण हो रही है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) का लक्ष्य रुपये को स्थिर करना है, ताकि छोटी अवधि के उतार-चढ़ाव को कम किया जा सके।


एशिया में रुपये का प्रदर्शन

इस वर्ष, भारतीय रुपया एशिया की सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली मुद्रा बन गई है, जो अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 6 प्रतिशत तक गिर चुका है। भारत एकमात्र बड़ी अर्थव्यवस्था है जिसका अमेरिका के साथ कोई व्यापार समझौता नहीं है।


शेयर बाजार पर असर

नवंबर में NSE निफ्टी 50 इंडेक्स अपने उच्चतम स्तर से लगभग 1.7 प्रतिशत नीचे गिर गया। दिसंबर में, विदेशी फंड्स ने स्थानीय इक्विटी से 1.6 बिलियन डॉलर निकाले हैं। इस साल विदेशी निवेशकों ने 18 बिलियन डॉलर से अधिक के स्थानीय स्टॉक्स बेचे हैं।