भारतीय रेलवे ने 'कवच' तकनीक से मालगाड़ी को किया सुरक्षित

भारतीय रेलवे की नई पहल
भारतीय रेलवे ने सुरक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। ईस्ट कोस्ट रेलवे ने स्वदेशी 'ट्रेन कोलिजन अवॉइडेंस सिस्टम' (TCAS), जिसे 'कवच' कहा जाता है, से लैस अपनी पहली मालगाड़ी (WAG9HC) को हरी झंडी दिखाई। इस उद्घाटन का आयोजन सोमवार को वालटेयर के डीजल लोको शेड में डिविजनल रेलवे मैनेजर ललित बोहरा द्वारा किया गया।कवच क्या है और यह कैसे कार्य करता है? 'कवच' एक उन्नत तकनीक है, जो पूरी तरह से भारत में विकसित की गई है, जिसका उद्देश्य ट्रेनों की टक्कर को रोकना है। यह प्रणाली लोको पायलट को केबिन के भीतर ही वास्तविक समय में सिग्नल की जानकारी प्रदान करती है।
यह एक सुरक्षित वायरलेस नेटवर्क के माध्यम से स्टेशन के इंटरलॉकिंग सिस्टम और ट्रेन के इंजन के बीच निरंतर जानकारी का आदान-प्रदान करती है। इसके अतिरिक्त, पटरियों पर स्थापित विशेष RFID चिप की सहायता से 'कवच' ट्रेन की सटीक स्थिति का पता लगाता है। यदि एक ही पटरी पर दो ट्रेनें आ रही हों या ट्रेन सिग्नल को पार करने वाली हो, तो यह प्रणाली लोको पायलट को चेतावनी देती है और आवश्यकता पड़ने पर अपने आप ब्रेक लगाकर ट्रेन को रोक देती है।
वालटेयर में इस प्रणाली की शुरुआत के पहले चरण के लिए 123 'कवच' यूनिट्स को डीजल लोको शेड में प्राप्त किया गया है। प्रणाली की सही जांच के लिए, डीजल लोको शेड में एक विशेष 'कवच' स्टेशन और 500 मीटर लंबा टेस्ट ट्रैक भी स्थापित किया गया है। 'कवच' के कार्यान्वयन से आमने-सामने की टक्कर और सिग्नल से संबंधित गलतियों के कारण होने वाले हादसों को रोकने में मदद मिलेगी। यह भारतीय रेलवे को और अधिक सुरक्षित और आधुनिक बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।