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भारतीय रेलवे ने बायोटॉयलेट्स के साथ स्वच्छता में उठाया बड़ा कदम

भारतीय रेलवे ने स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए सभी मुख्यधारा के कोचों में बायोटॉयलेट्स की सुविधा उपलब्ध कराई है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में इस पहल की जानकारी दी, जिसमें मानव अपशिष्ट के कारण होने वाले रेल फिटिंग के क्षरण को रोकने का लक्ष्य रखा गया है। यह कदम स्वच्छ भारत अभियान के तहत एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। जानें इस नई प्रणाली के बारे में और कैसे यह रेलवे की स्वच्छता को बढ़ावा देगी।
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भारतीय रेलवे ने बायोटॉयलेट्स के साथ स्वच्छता में उठाया बड़ा कदम

भारतीय रेलवे की नई पहल

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को लोकसभा में बताया कि भारतीय रेलवे ने स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। सभी मुख्यधारा के कोच अब बायोटॉयलेट्स से लैस हैं, जिससे मानव अपशिष्ट के कारण रेल फिटिंग के क्षरण को रोका जा सकेगा। यह स्वच्छ भारत अभियान और आधुनिक रेलवे की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।


रेल मंत्री ने कहा कि भारतीय रेलवे 'जीरो-डिस्चार्ज' प्रणाली पर काम कर रही है। उन्होंने बताया कि बायोटॉयलेट्स का उपयोग करने से रेलवे पटरियों पर मानव अपशिष्ट का निर्वहन समाप्त हो गया है, जिससे स्वच्छता में सुधार हुआ है। यह प्रणाली बायोडिग्रेडर का उपयोग करती है, जो मानव अपशिष्ट को पानी और हानिरहित गैसों में परिवर्तित करती है।


मंत्री ने कहा, "भारतीय रेलवे ने इस कार्य को मिशन मोड में लिया है। वर्तमान में, सभी यात्री-ढोने वाले मुख्यधारा के डिब्बों में बायोटॉयलेट की सुविधा उपलब्ध है, जिससे मानव अपशिष्ट के कारण रेल फिटिंग के क्षरण को भी रोका जा सका है।"


उन्होंने बताया कि 2004 से 2014 के बीच केवल 9,587 कोचों में बायोटॉयलेट लगाए गए थे, जबकि 2014 से 2025 के बीच 3,33,191 कोचों में यह सुविधा उपलब्ध कराई गई है। यह संख्या रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर विकास और पर्यावरण-अनुकूल पहलों में केंद्र सरकार की बढ़ती प्रतिबद्धता को दर्शाती है।


मंत्री ने कहा कि बायोटॉयलेट की उचित कार्यप्रणाली सुनिश्चित करने के लिए हर साल 'स्वच्छ भारत अभियान' के दौरान जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं, ताकि यात्रियों को डिब्बों और शौचालयों की स्वच्छता के प्रति संवेदनशील बनाया जा सके।