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मऊ सदर विधानसभा सीट पर उपचुनाव की सियासी हलचल तेज

उत्तर प्रदेश के मऊ सदर विधानसभा सीट पर अब्बास अंसारी की सदस्यता रद्द होने के बाद उपचुनाव की सियासी हलचल तेज हो गई है। इस घटनाक्रम ने सत्ताधारी एनडीए और विपक्षी दलों के बीच नए समीकरणों को जन्म दिया है। ओम प्रकाश राजभर और भाजपा दोनों इस सीट पर दावेदारी कर रहे हैं। सपा भी इस सीट पर अपने उम्मीदवार को उतारने की योजना बना रही है। जानें इस राजनीतिक उठापटक के पीछे की कहानी और संभावनाएं।
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मऊ सदर सीट का राजनीतिक महत्व

उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में मऊ सदर विधानसभा सीट अब राजनीतिक दृष्टि से एक महत्वपूर्ण स्थान बन गई है। बाहुबली मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी को अधिकारियों को धमकाने के मामले में दो साल की सजा सुनाए जाने के बाद उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी गई है। इस घटनाक्रम ने मऊ सीट पर उपचुनाव की संभावनाओं को जन्म दिया है, जिससे प्रदेश की राजनीति में नए समीकरण बन सकते हैं।


मुख्तार अंसारी, जिन्होंने 1996 से 2017 तक मऊ सीट का प्रतिनिधित्व किया, की राजनीतिक विरासत अब्बास अंसारी ने संभाली थी। 2022 के विधानसभा चुनाव में, अब्बास ने सुभासपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। हालांकि, चुनाव प्रचार के दौरान उनके द्वारा दिए गए भड़काऊ बयानों के कारण उनके खिलाफ मामला दर्ज हुआ था। अब, सजा के परिणामस्वरूप उनकी सदस्यता रद्द हो गई है।


सियासी दावेदारी और संभावनाएं

मऊ सदर सीट के रिक्त होते ही, यह सीट यूपी की राजनीति में नए समीकरणों का केंद्र बन गई है। सत्ताधारी एनडीए के घटक दलों के बीच इस सीट को लेकर दावेदारी शुरू हो गई है। सुभासपा के नेता ओम प्रकाश राजभर इस सीट पर अपना दावा पेश कर रहे हैं, यह कहते हुए कि यह सीट उनकी पार्टी की है।


भाजपा भी मऊ सीट पर अपनी नजरें गड़ाए हुए है। 2022 के चुनाव में, भाजपा ने अपना उम्मीदवार उतारा था, लेकिन अब ओम प्रकाश राजभर भाजपा के साथ हैं, जिससे यह स्पष्ट नहीं है कि एनडीए गठबंधन में यह सीट कौन लड़ेगा।


सपा की रणनीति और विपक्ष का रुख

सपा निश्चित रूप से इस सीट पर अपना उम्मीदवार उतारेगी। मुख्तार अंसारी का परिवार मऊ और पूर्वांचल में प्रभावशाली रहा है, और सपा इसे भुनाने की कोशिश करेगी। अंसारी परिवार के छोटे भाई उमर अंसारी को सपा से टिकट मिलने की संभावना है।


हालांकि, कांग्रेस और बसपा जैसे प्रमुख विपक्षी दल अभी तक इस उपचुनाव से दूरी बनाए हुए हैं। यदि वे मऊ सीट पर चुनाव नहीं लड़ते हैं, तो सपा और एनडीए के घटक दलों के बीच सीधा मुकाबला होगा।


भाजपा की रणनीति और भविष्य की योजनाएं

भाजपा मऊ सीट पर जीत की उम्मीद कर रही है। 2022 में, भाजपा ने इस सीट से अशोक सिंह को चुनाव लड़ाया था, लेकिन वे अब्बास अंसारी से हार गए थे। अब्बास की सदस्यता रद्द होने के बाद भाजपा को यह एक सुनहरा अवसर नजर आ रहा है।


मुख्तार अंसारी का निधन और अब्बास अंसारी की सजा के बाद भाजपा को मऊ सीट पर अपना झंडा फहराने का एक बड़ा मौका मिल सकता है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का 'माफिया-मुक्त उत्तर प्रदेश' का एजेंडा भी इस सीट पर भाजपा की रुचि को बढ़ा रहा है।