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मणिपुर में भाजपा की सरकार गठन की नई कोशिशें

भारतीय जनता पार्टी मणिपुर में सरकार बनाने की नई कोशिश कर रही है। संगठन महामंत्री बीएल संतोष और सांसद संबित पात्रा के दौरे के बाद भाजपा के नेता चुनाव की तैयारी और सरकार गठन के बीच दुविधा में हैं। राष्ट्रपति शासन के तहत शांति बहाल होने के बावजूद, भाजपा में मुख्यमंत्री पद के लिए कई दावेदार हैं। जानें क्या हो सकता है आगे और विधानसभा के भविष्य के बारे में।
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मणिपुर में भाजपा की सरकार गठन की नई कोशिशें

भाजपा की सक्रियता मणिपुर में

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) एक बार फिर मणिपुर में सरकार बनाने की दिशा में कदम बढ़ा रही है। इस बार की कोशिश को गंभीरता से लिया जा रहा है, क्योंकि भाजपा के संगठन महामंत्री बीएल संतोष स्वयं मणिपुर का दौरा कर चुके हैं। उनके साथ पूर्वोत्तर में भाजपा के कार्यों की देखरेख कर रहे लोकसभा सांसद संबित पात्रा भी मौजूद थे। उल्लेखनीय है कि इस वर्ष की शुरुआत से मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू है और विधानसभा को निलंबित रखा गया है। हालांकि, विधानसभा को अनिश्चितकाल तक निलंबित नहीं रखा जा सकता और डेढ़ साल बाद चुनाव भी होने वाले हैं।


इस स्थिति में भाजपा के नेता चिंतित हैं कि उन्हें चुनाव की तैयारी करनी चाहिए या सरकार गठन का इंतजार करना चाहिए। राज्य के राज्यपाल पूर्व केंद्रीय गृह सचिव अझय भल्ला हैं। राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद राज्य में शांति स्थापित हो गई है, लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि केंद्र सरकार और भाजपा दोनों ही किसी भी जोखिम से बचना चाहती हैं। भाजपा में कई गुट बन गए हैं, जो मुख्यमंत्री पद के लिए दावेदारी कर रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह अपने दावे से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। लोकसभा चुनाव में दोनों सीटों पर हार के कारण भाजपा चुनाव को लेकर चिंतित है। जानकार सूत्रों का कहना है कि यदि सरकार बनाने की संभावना बनती है, तो एक महीने के भीतर सरकार का गठन हो सकता है। यदि ऐसा नहीं होता है या सरकार बनाना जोखिम भरा लगता है, तो विधानसभा भंग कर दी जाएगी और अगले साल असम के साथ मणिपुर में भी चुनाव होंगे।