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मणिपुर में हिंसा की स्थिति पर प्रियंका गांधी का कड़ा बयान

मणिपुर में हालात एक बार फिर से तनावपूर्ण हो गए हैं। प्रियंका गांधी ने केंद्र सरकार की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए कहा कि पिछले दो वर्षों से राज्य में हिंसा, हत्या और पलायन की घटनाएँ बढ़ रही हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रवैये की भी आलोचना की और मणिपुर के लोगों के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता पर जोर दिया। जानें इस संकट की पूरी कहानी और प्रियंका गांधी के बयान के बारे में।
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मणिपुर में हिंसा की स्थिति पर प्रियंका गांधी का कड़ा बयान

मणिपुर में फिर से बढ़ी हिंसा

मणिपुर में हालात एक बार फिर से तनावपूर्ण हो गए हैं। इस संकट के बीच, कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने रविवार (8 जून) को केंद्र सरकार की चुप्पी और निष्क्रियता पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। पिछले दो वर्षों से मणिपुर में हिंसा, हत्या, बलात्कार और पलायन की घटनाएँ बढ़ रही हैं, जिससे सैकड़ों लोगों की जानें जा चुकी हैं और हजारों लोग बेघर हो गए हैं।


प्रशासन ने उठाए सख्त कदम

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, शनिवार को मणिपुर की राजधानी इंफाल में विरोध प्रदर्शन हुए, जिसके बाद प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कठोर कदम उठाए। शनिवार रात से अगले पांच दिनों के लिए राज्य के पांच जिलों में इंटरनेट सेवाएँ पूरी तरह से बंद कर दी गई हैं। इसके साथ ही, चार जिलों में धारा 163 लागू कर सार्वजनिक स्थानों पर लोगों के एकत्र होने और प्रदर्शन करने पर रोक लगा दी गई है। एक जिले में कर्फ्यू भी लगाया गया है ताकि हिंसा को और बढ़ने से रोका जा सके।


प्रियंका गांधी का केंद्र पर हमला

प्रियंका गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा, "मणिपुर एक बार फिर से हिंसा की चपेट में है। पिछले दो वर्षों से राज्य के लोग हिंसा, हत्या, बलात्कार और पलायन झेल रहे हैं। सैकड़ों मौतें हो चुकी हैं, हजारों लोग बेघर हैं। आखिर क्या कारण है कि केंद्र का शासन होने के बावजूद वहाँ शांति बहाली नहीं हो पा रही है?"


प्रधानमंत्री की चुप्पी पर सवाल

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रवैये पर भी सवाल उठाते हुए कहा, "प्रधानमंत्री ने मणिपुर को उसके हाल पर क्यों छोड़ दिया है? आज तक न वे मणिपुर गए, न राज्य के किसी प्रतिनिधि से मिले, न कभी शांति की अपील की और न ही कोई ठोस प्रयास किया। यह संवेदनहीन और गैर-ज़िम्मेदार रवैया किसी लोकतंत्र के लिए अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है।"


मणिपुर में चल रहा संकट

मणिपुर में पिछले दो वर्षों से हिंसा और अशांति का माहौल बना हुआ है। यह राज्य विभिन्न समुदायों के बीच तनाव और हिंसक घटनाओं से जूझ रहा है। सैकड़ों लोगों की मौत और हजारों लोगों का विस्थापन इस संकट की गंभीरता को दर्शाता है। प्रशासन द्वारा इंटरनेट बंद करने और कर्फ्यू जैसे कदम स्थिति को नियंत्रित करने के लिए उठाए गए हैं, लेकिन ये उपाय केवल अस्थायी राहत प्रदान कर रहे हैं।


शांति की राह में चुनौतियाँ

मणिपुर में शांति स्थापना के लिए दीर्घकालिक और समावेशी समाधानों की आवश्यकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि केंद्र और राज्य सरकार को मिलकर सभी पक्षों के साथ संवाद स्थापित करना होगा। स्थानीय समुदायों की शिकायतों को सुनना और उनके अधिकारों की रक्षा करना इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। साथ ही, केंद्र सरकार को मणिपुर के लोगों के बीच विश्वास बहाली के लिए ठोस नीतियाँ लागू करने की जरूरत है।