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मतदाता सूची के पुनरीक्षण की प्रक्रिया में चुनाव आयोग ने जारी की नई जानकारी

चुनाव आयोग ने 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण की प्रक्रिया शुरू की है। इस दौरान कई नाम हटाए गए हैं, जिसमें मध्य प्रदेश, केरल और छत्तीसगढ़ की मसौदा सूची शामिल है। उत्तर प्रदेश में समय सीमा बढ़ाई गई है। जानें इस प्रक्रिया के बारे में और अधिक जानकारी और क्या कदम उठाए जाएंगे।
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मतदाता सूची के पुनरीक्षण की प्रक्रिया में चुनाव आयोग ने जारी की नई जानकारी

मतदाता सूची का विशेष पुनरीक्षण

नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की प्रक्रिया आरंभ की थी। उत्तर प्रदेश को छोड़कर अन्य 11 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में इसका पहला चरण सफलतापूर्वक पूरा हो चुका है। मंगलवार को चुनाव आयोग ने मध्य प्रदेश, केरल, छत्तीसगढ़ और अंडमान निकोबार द्वीप की मसौदा मतदाता सूची जारी की। उत्तर प्रदेश में भाजपा के शासन के तहत समय सीमा को दो हफ्ते के लिए बढ़ा दिया गया है, जहां 26 दिसंबर को सूची जारी होने की संभावना है।


मध्य प्रदेश की मसौदा मतदाता सूची में 42.74 लाख नामों को हटाया गया है, जिसमें 19.19 लाख पुरुष और 23.64 लाख महिलाएं शामिल हैं। इसके अलावा, 8.40 लाख नाम ऐसे हैं जिनकी मैपिंग नहीं की गई है। चुनाव आयोग ने केरल, छत्तीसगढ़ और अंडमान निकोबार द्वीप समूह की मसौदा मतदाता सूची भी जारी की है, जिसमें केरल की सूची में 25 लाख नाम हटाए गए हैं। केरल में अगले साल अप्रैल में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं।


इससे पहले, चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल, राजस्थान, तमिलनाडु, गुजरात, गोवा, लक्षद्वीप और पुडुचेरी की मसौदा मतदाता सूची भी जारी की थी। इन राज्यों में विभिन्न कारणों से कुल 2.70 करोड़ से अधिक नाम मतदाता सूची से हटाए गए हैं, जिसमें तमिलनाडु से सबसे अधिक 97 लाख नाम हटाए गए हैं। गुजरात से 73 लाख और पश्चिम बंगाल से 58 लाख नाम भी सूची से बाहर किए गए हैं।


चुनाव आयोग के अनुसार, 2025 के स्थानीय निकाय चुनावों के लिए तैयार की जा रही मतदाता सूची में केरल में 2.86 करोड़ से अधिक मतदाता हैं। केरल में लगभग 25 लाख नाम हटाए जा सकते हैं। मसौदा मतदाता सूची चुनाव आयोग की वेबसाइट पर अपलोड की जाएगी और सभी राज्यों में विधानसभा क्षेत्रों में भी उपलब्ध कराई जाएगी। इसके बाद एक महीने तक दावे और आपत्तियां दर्ज की जाएंगी, और अंत में अंतिम मतदाता सूची जारी की जाएगी। चुनाव आयोग ने यह स्पष्ट किया है कि बिना नोटिस और बिना पक्ष सुने किसी का नाम नहीं काटा जाएगा।