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ममता बनर्जी ने चुनाव आयोग और मोदी सरकार पर साधा निशाना

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हाल ही में बीरभूम में आदिवासी दिवस के अवसर पर चुनाव आयोग और मोदी सरकार पर तीखा हमला किया। उन्होंने एनआरसी के मुद्दे पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह एसआईआर के माध्यम से लागू किया जा रहा है। इसके अलावा, उन्होंने बिहार में जन्म प्रमाण पत्र की आवश्यकता पर भी सवाल उठाए। ममता ने बंगाली भाषा के अपमान का मुद्दा उठाते हुए कहा कि यह एक पारंपरिक भाषा है। उनके इस बयान ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है।
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ममता बनर्जी ने चुनाव आयोग और मोदी सरकार पर साधा निशाना

ममता बनर्जी का बयान

ममता बनर्जी: तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 7 अगस्त को चुनाव आयोग और केंद्र की मोदी सरकार पर तीखा हमला किया। बीरभूम में आदिवासी दिवस के अवसर पर उन्होंने कहा कि एनआरसी वास्तव में एसआईआर के माध्यम से लागू किया जा रहा है। उन्होंने कहा, “कोई भी व्यक्ति बिना जानकारी के फॉर्म नहीं भरेगा। उनके पास कोई और योजना है। मुझे नहीं पता कि मुझे यह कहना चाहिए या नहीं, लेकिन नाम हटाने की एक साजिश चल रही है।”


बिहार में जन्म प्रमाण पत्र की आवश्यकता पर सवाल

मुख्यमंत्री ने बिहार में एसआईआर प्रक्रिया के संदर्भ में कहा कि 2004 के बाद जन्मे व्यक्तियों को अपने माता-पिता का जन्म प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या यह संभव है कि सभी के पास यह प्रमाण पत्र हो?


अधिकारियों के निलंबन पर ममता का सवाल

ममता बनर्जी ने यह भी कहा कि जब वह सत्ता में आईं, तब केवल 60 प्रतिशत लोगों के पास जन्म प्रमाण पत्र थे। उन्होंने यह सवाल उठाया कि क्या 2004 के बाद जन्मे लोगों के लिए अपने माता-पिता का प्रमाण पत्र होना संभव है। उन्होंने कहा, “हम भी घर-घर जाकर सामान पहुँचाते हैं, हमारे पास केवल स्कूल के सर्टिफिकेट हैं। क्या उनके पास सर्टिफिकेट हैं? क्या वकीलों के पास हैं? वे तो चाँदी के चम्मच के साथ पैदा हुए हैं, मेहनत करने वालों को कैसे समझेंगे।”


बंगाली भाषा का अपमान

ममता बनर्जी ने बंगाली भाषा के अपमान का मुद्दा उठाते हुए कहा, “क्या बंगाली नाम की कोई चीज़ है? तो फिर रवींद्रनाथ टैगोर किस भाषा में बात करते थे?” उन्होंने यह भी बताया कि पहले 10 रुपये के नोट पर बंगाली लिखा होता था।


इस दौरान, उन्होंने फोन से एक तस्वीर निकालकर मीडिया को दिखाया, जिसमें 10 रुपये के नोट की तस्वीर थी। उन्होंने दावा किया कि यह 1912 का नोट है और कहा, “उस समय 10 रुपये के नोट पर बंगाली में लिखा होता था। आज आप अचानक कह रहे हैं कि बंगाली नाम की कोई भाषा नहीं है। यह एक पारंपरिक भाषा है।”


तृणमूल कांग्रेस ने पहले भी विदेशी राज्यों में बंगाली भाषियों पर हो रहे अत्याचार और बंगाली भाषा के अपमान की बात की है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी लगातार भाजपा पर निशाना साध रही हैं और इसी मुद्दे पर झारग्राम में तीन किलोमीटर लंबा पैदल मार्च भी निकाला।