महाराष्ट्र की राजनीति में नया मोड़: फड़नवीस के गुमनाम विज्ञापन पर उठे सवाल

महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल
महाराष्ट्र की राजनीतिक स्थिति अब काफी रोचक होती जा रही है। पहले, दिल्ली में बिहार और उत्तर प्रदेश की राजनीति पर अधिक चर्चा होती थी, लेकिन अब महाराष्ट्र ने इन दोनों राज्यों को चुनौती देना शुरू कर दिया है। हर दिन महाराष्ट्र से किसी न किसी नई राजनीतिक घटना की खबरें आ रही हैं। हाल ही में मराठा और ओबीसी आरक्षण के विवाद के बीच, मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस के एक विवादास्पद विज्ञापन ने सुर्खियाँ बटोरी हैं।
मुख्यमंत्री फड़नवीस के विज्ञापन महाराष्ट्र के विभिन्न समाचार पत्रों में पूरे पन्ने पर प्रकाशित हुए हैं और मुंबई के कई स्थानों पर होर्डिंग्स भी लगाए गए हैं। हालांकि, इन विज्ञापनों में विज्ञापन जारी करने वाले का नाम नहीं दिया गया है।
आमतौर पर सरकारी विज्ञापनों को सूचना और जनसंपर्क विभाग द्वारा जारी किया जाता है, जबकि पार्टी के विज्ञापनों को पार्टी के प्रचार विभाग द्वारा प्रबंधित किया जाता है। यदि कोई व्यक्ति व्यक्तिगत रूप से विज्ञापन जारी करता है, तो उसका नाम भी उसमें शामिल होता है। लेकिन फड़नवीस के इन विज्ञापनों और होर्डिंग्स के पीछे कौन है, यह किसी को नहीं पता। इन विज्ञापनों में एक सामान्य बात यह है कि फड़नवीस शिवाजी महाराज को श्रद्धांजलि दे रहे हैं और इनमें 'देवाभाऊ' नाम का उल्लेख किया गया है, जो फड़नवीस का आम नाम है। विपक्षी दलों ने इन विज्ञापनों पर सवाल उठाए हैं। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या फड़नवीस ने स्वयं यह विज्ञापन जारी कराया है या उनकी जानकारी के बिना किसी ने यह कदम उठाया है?