महाराष्ट्र में जमीन घोटाले पर राजनीतिक विवाद तेज
राजनीतिक घमासान की शुरुआत
महाराष्ट्र में एक बार फिर से जमीन घोटाले को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। कांग्रेस के विधायक और पूर्व नेता प्रतिपक्ष विजय वडेट्टीवार ने परिवहन मंत्री प्रताप सरनाइक पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि मंत्री ने मीरा-भायंदर क्षेत्र में करोड़ों की सरकारी संपत्ति को बेहद कम कीमत पर खरीदा है। दूसरी ओर, प्रताप सरनाइक ने इन आरोपों को पूरी तरह से खारिज करते हुए कहा कि उन्हें इस जमीन के बारे में कोई जानकारी नहीं है।
वडेट्टीवार के आरोपों की गंभीरता
विजय वडेट्टीवार ने शनिवार को कहा कि प्रताप सरनाइक ने मीरा-भायंदर में चार एकड़ भूमि केवल 3 करोड़ रुपये में खरीदी, जबकि इसकी वास्तविक बाजार मूल्य लगभग 200 करोड़ रुपये है। उन्होंने यह भी कहा कि असली कीमत 400 करोड़ रुपये तक जा सकती है। वडेट्टीवार ने कहा, "क्या कोई मंत्री अपने निजी लाभ के लिए सरकारी जमीन खरीद सकता है? क्या आप महाराष्ट्र को लूटने पर तुले हैं और हमसे आंखें बंद रखने की उम्मीद कर रहे हैं?"
राज्यभर में भूमि सौदों पर उठे सवाल
कांग्रेस नेता ने कहा कि यह केवल एक मामला नहीं है, बल्कि राज्य में बिल्डरों, डेवलपर्स और नेताओं के बीच मिलीभगत से भूमि सौदों में धांधली हो रही है। उन्होंने इसे सरकार के भ्रष्टाचार का एक उदाहरण बताया। वडेट्टीवार ने कहा कि आम जनता की भूमि को कम कीमत पर हड़पकर निजी लाभ के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।
सरनाइक का पलटवार
आरोपों का जवाब देते हुए मंत्री प्रताप सरनाइक ने कहा, "मैंने सुबह-सुबह खुद यह देखने का प्रयास किया कि यह जमीन कहां है। मुझे तो यह भी नहीं पता कि मैं ऐसी कोई संपत्ति रखता हूं। अगर यह 200 करोड़ की है, तो मुझे खुशी होगी कि इतनी सस्ती डील मिली।" उन्होंने कहा कि वह वडेट्टीवार से सबूतों की प्रतीक्षा करेंगे और उसके बाद विस्तृत उत्तर देंगे।
सरकार की जांच की शर्त
राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा कि सरकार तब ही कार्रवाई करेगी जब वडेट्टीवार औपचारिक शिकायत दर्ज कराएंगे। उन्होंने कहा, "केवल मीडिया में बयान देने से कुछ नहीं होगा। जब शिकायत आएगी, तभी जांच शुरू की जा सकती है।" उन्होंने पुणे भूमि विवाद का उदाहरण देते हुए कहा कि सरकार ने वहां शिकायत मिलने पर तुरंत जांच समिति का गठन किया था।
राजनीतिक तनाव में वृद्धि
इस मामले ने महाराष्ट्र की राजनीति में एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। विपक्ष इसे सत्ता के दुरुपयोग का मामला बता रहा है, जबकि सरकार का कहना है कि बिना सबूत आरोप लगाना केवल राजनीति है। फिलहाल जांच की औपचारिक मांग का इंतज़ार किया जा रहा है।
