महिपाल ढांडा का राहुल गांधी पर तीखा हमला: कांग्रेस की विश्वसनीयता पर सवाल

महिपाल ढांडा का कांग्रेस पर हमला
महिपाल ढांडा: राहुल गांधी पर महिपाल ढांडा का तीखा हमला: 'कांग्रेस स्वार्थ के जाल में फंसी है, युवा इसे नहीं अपनाएंगे': हरियाणा के शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की नेतृत्व क्षमता पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि जो नेता अपने पार्टी के जिला और प्रदेश अध्यक्षों का चुनाव नहीं कर सकता, वह संगठन को कैसे मजबूत करेगा? गुरुवार को पार्टी कार्यालय मंगल-कमल में 'मोदी सरकार के 11 साल: संकल्प से सिद्धि तक' विषय पर आयोजित संगोष्ठी के बाद मीडिया से बातचीत में ढांडा ने कांग्रेस को स्वार्थ और असमंजस का गढ़ बताया।
यह बयान राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया है और यह युवाओं और मतदाताओं के बीच कांग्रेस की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाता है। महिपाल ढांडा
महिपाल ढांडा ने राहुल गांधी के हालिया बिहार दौरे और उनके 'तीन प्रकार के घोड़े' वाले बयान का जवाब देते हुए कहा कि कांग्रेस कार्यकर्ता स्वार्थ के जाल में फंसे हुए हैं और न तो ऊपर देखते हैं, न नीचे। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में देश और हरियाणा का युवा कांग्रेस से नहीं जुड़ेगा।
ढांडा ने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस का राष्ट्रीय नेतृत्व अपने निर्णय लेने में स्वतंत्र नहीं है, और संविधान की कॉपी जेब में रखने का दिखावा बेकार है। उन्होंने कहा कि एक जिले में कई प्रभारी नियुक्त करने से कार्यकर्ताओं में भ्रम की स्थिति उत्पन्न होती है, जिससे वे यह नहीं समझ पाते कि असली नेता कौन है।
शिक्षा मंत्री ने ऑपरेशन सिंदूर पर कांग्रेस द्वारा उठाए गए सवालों को ओच्छी राजनीति करार दिया। उन्होंने कहा कि सर्वदलीय बैठक में कांग्रेस नेता मौजूद थे, लेकिन तब कोई सवाल नहीं उठाया गया। अब केवल क्रेडिट लेने के लिए बयानबाजी हो रही है।
ढांडा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए कहा कि शौचालय से लेकर ब्रह्मोस मिसाइल तक, दुनिया ने भारत की प्रगति देखी है। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर को आतंकवादियों के खिलाफ एक कड़ा कदम बताया, जो पीएम मोदी के नेतृत्व में संभव हुआ। संगोष्ठी में प्रदेश महामंत्री सुरेंद्र पूनिया और पूर्व मंत्री मनीष ग्रोवर ने भी अपने विचार साझा किए।
शिक्षा के क्षेत्र में ढांडा ने एक महत्वपूर्ण घोषणा की कि अब शिक्षा विभाग में सभी कार्य हिंदी में होंगे। उन्होंने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि कोई भी पत्र अंग्रेजी में स्वीकार नहीं होगा। ढांडा ने कहा कि हिंदी आम जनता की भाषा है, और इसे बढ़ावा देना हमारा गर्व है। हालांकि, अधिकारियों ने इसके लिए कुछ समय मांगा है। यह कदम हिंदी भाषा के सम्मान और प्रशासनिक पारदर्शिता को बढ़ावा देने की दिशा में एक सकारात्मक पहल है।