महुआ मोइत्रा ने बिहार में मतदाता पुनरीक्षण के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर की याचिका

महुआ मोइत्रा की याचिका
तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने बिहार में चुनाव आयोग द्वारा जारी विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision - SIR) के आदेश को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी है। उनका कहना है कि यह कदम असंवैधानिक है और इससे लाखों लोगों के मताधिकार पर खतरा मंडरा सकता है। यह पुनरीक्षण उस समय किया जा रहा है जब 2025 के अंत तक बिहार में विधानसभा चुनाव होने की संभावना है।
2003 के बाद पहली बार विशेष पुनरीक्षण
बिहार में मतदाता सूची का अंतिम विशेष पुनरीक्षण 2003 में हुआ था। अब, दो दशकों के बाद, चुनाव आयोग ने इस प्रक्रिया को फिर से शुरू करने का निर्णय लिया है, जिसमें अपात्र मतदाताओं के नाम हटाने और नए योग्य मतदाताओं को जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है।
महुआ मोइत्रा का बयान
महुआ मोइत्रा ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया है कि चुनाव आयोग के आदेश पर तुरंत रोक लगाई जाए। इसके साथ ही, उन्होंने यह भी कहा है कि आयोग को अन्य राज्यों में भी ऐसे आदेश जारी करने से रोका जाए। उनका आरोप है कि यह प्रक्रिया विशेष रूप से गरीब, महिलाएं और प्रवासी श्रमिकों को प्रभावित करेगी, जिससे लोकतांत्रिक अधिकारों में बाधा आएगी।
पहले भी उठे सवाल
इससे पहले एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने भी चुनाव आयोग के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। उनकी याचिका में कहा गया कि यह आदेश संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), 19 (अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता), 21 (जीवन का अधिकार), 325 और 326 (मतदान का अधिकार) का उल्लंघन करता है। इसके अलावा, यह जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 और मतदाता पंजीकरण नियम, 1960 के नियम 21ए के भी खिलाफ है।
प्रशांत भूषण का बयान
इस याचिका की ओर से अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि चुनाव आयोग का यह निर्देश मनमाना और उचित प्रक्रिया के बिना जारी किया गया है। उनके अनुसार, दस्तावेज़ीकरण की कठिन प्रक्रिया, समयसीमा की कमी और प्रक्रिया की पारदर्शिता के अभाव में लाखों वास्तविक मतदाताओं के नाम हटाए जा सकते हैं, जिससे वे चुनाव में भाग नहीं ले पाएंगे।
चुनाव आयोग का पक्ष
चुनाव आयोग का कहना है कि यह प्रक्रिया आवश्यक है क्योंकि बिहार में शहरीकरण, प्रवासन, मृत्यु की सूचना न देना, और अवैध प्रवासियों के नाम सूची में होने जैसी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। इस वजह से मतदाता सूची की शुद्धता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए यह पुनरीक्षण अनिवार्य हो गया है। आयोग ने कहा कि बूथ स्तर के अधिकारी घर-घर जाकर मतदाताओं की जांच कर रहे हैं और आयोग ने भरोसा दिलाया है कि संविधान के अनुच्छेद 326 और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 16 का पूरी तरह पालन किया जाएगा.