मायावती का नया राजनीतिक समीकरण: दलित-मुस्लिम गठबंधन की ओर
मायावती का भाईचारा बनाने का प्रयास
उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती एक बार फिर से भाईचारा स्थापित करने की कोशिश कर रही हैं। हालांकि, यह भाईचारा दलित और ब्राह्मण या अन्य समुदायों के बीच नहीं, बल्कि दलित और मुस्लिम समुदाय के बीच बनता दिख रहा है। जानकारी के अनुसार, आजाद समाज पार्टी के नेता चंद्रशेखर के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए, मायावती ने असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी के साथ मिलकर चुनावी रणनीति बनाने का विचार किया है। इससे न केवल वे अपने जातीय आधार को सुरक्षित रख सकेंगी, बल्कि एक मजबूत राजनीतिक ताकत भी बन सकती हैं। इसके साथ ही, कांग्रेस द्वारा मुस्लिम और दलित समुदाय को साधने के प्रयासों को विफल करने की दिशा में भी यह कदम उठाया जा रहा है.
कांग्रेस की रणनीति पर सवाल
कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेता इस योजना को भाजपा की रणनीति के समान बता रहे हैं। दरअसल, बिहार विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के एकमात्र विधायक ने जीत के बाद मायावती और ओवैसी की तस्वीर के सामने खड़े होकर मीडिया से बातचीत की। इस दौरान बसपा के प्रदेश अध्यक्ष अनिल कुमार भी उनके साथ थे। इससे यह अटकलें लगाई जा रही हैं कि बसपा और एमआईएम के बीच गठबंधन संभव है। ध्यान देने योग्य है कि बिहार में ओवैसी की पार्टी एमआईएम ने 28 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिसमें से 20 सीटों पर एनडीए ने जीत हासिल की थी। एमआईएम ने पांच विधायक जीते और उसे नौ लाख से अधिक वोट मिले। यदि उत्तर प्रदेश में बसपा और एमआईएम एकजुट होते हैं, तो यह कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के लिए एक बड़ा चुनौती बन सकता है.
