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मायावती की लखनऊ रैली: बिहार चुनाव की तैयारी में नया मोड़

बसपा प्रमुख मायावती ने लखनऊ में एक विशाल रैली का आयोजन किया, जिसमें उन्होंने उत्तर प्रदेश की सरकार की प्रशंसा की और सपा तथा कांग्रेस की आलोचना की। यह रैली बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारी का संकेत है। जानें मायावती की रणनीति और उनके राजनीतिक विचारों के बारे में।
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मायावती की लखनऊ रैली: बिहार चुनाव की तैयारी में नया मोड़

मायावती की राजनीतिक रणनीति


राजीव रंजन तिवारी | शीर्षक पढ़कर आप सोच रहे होंगे कि यह क्या है। लेकिन यह सच है, कोई फसाना नहीं। बसपा प्रमुख मायावती की सोच ने सभी को चौंका दिया है। बिहार में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं और पटना में हलचल तेज है, जबकि मायावती लखनऊ में सक्रिय हैं। अब यह स्पष्ट हो गया है कि मैंने क्यों कहा कि पटना में छोरा और लखनऊ में ढिंढोरा। मायावती की रणनीति को समझने के लिए उनके विचारों का विश्लेषण करना आवश्यक है।


मायावती की लखनऊ रैली: बिहार चुनाव की तैयारी में नया मोड़
राजीव रंजन तिवारी, संपादक।


बसपा प्रमुख मायावती ने लखनऊ में एक विशाल रैली का आयोजन किया, जो उनके राजनीतिक पुनरुद्धार का संकेत है। इस रैली में तीन से चार लाख लोगों की भीड़ जुटी, जिसमें विभिन्न राज्यों के बसपा समर्थक शामिल थे। मायावती ने उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार की प्रशंसा की और सपा तथा कांग्रेस की आलोचना की। उन्होंने अपने समर्थकों से 2027 में यूपी में बसपा की सरकार बनाने का आह्वान किया।


मायावती ने योगी आदित्यनाथ सरकार की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान बनाए गए स्मारकों और पार्कों के रखरखाव के लिए सरकार को धन्यवाद दिया। इसके विपरीत, उन्होंने सपा और उसके नेता अखिलेश यादव पर तीखा हमला किया, आरोप लगाते हुए कि वे सत्ता में रहते हुए कांशीराम के एजेंडे को भूल जाते हैं।


मायावती ने कांग्रेस को भी निशाने पर लिया, उसे दलितों के हितों की अनदेखी करने वाली पार्टी करार दिया। उन्होंने संभावित गठबंधनों की अटकलों को खारिज करते हुए कहा कि वे किसी से छिपकर नहीं मिलतीं।


सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने मायावती के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि बसपा का भाजपा के साथ गुप्त समझौता है। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि सपा ने कांशीराम को सांसद बनने में समर्थन दिया था।


बिहार विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया चल रही है और बसपा भी चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। पार्टी के कार्यकर्ता लगातार अपने अभियान को आगे बढ़ा रहे हैं। मायावती की लखनऊ रैली का संदेश बिहार विधानसभा चुनाव तक पहुंचने की उम्मीद है।


हालांकि, पिछले तेरह वर्षों में बसपा का ग्राफ गिरा है। कई बड़े नेता पार्टी छोड़ चुके हैं, जिससे संगठन कमजोर हुआ है। मायावती की रैली ने यह साबित किया कि पार्टी का काडर अभी भी सक्रिय है। अगर वे नियमित रूप से ऐसी रैलियां करें, तो यूपी की राजनीति में इसका असर दिख सकता है।


बसपा की रणनीति को समझने वाले मानते हैं कि यह रैली पार्टी के लिए संजीवनी साबित हो सकती है। मायावती ने 2027 के चुनावों के लिए अकेले लड़ने का ऐलान किया है। अब देखना यह है कि बिहार विधानसभा चुनाव में बसपा का प्रदर्शन कैसा रहता है।