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मायावती ने कांशीराम के प्रति सपा और कांग्रेस के रवैये पर उठाए सवाल

बसपा प्रमुख मायावती ने सपा और कांग्रेस पर कांशीराम के प्रति जातिवादी रवैया अपनाने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि इन दलों ने कांशीराम के आंदोलन को कमजोर करने की कोशिश की और उनके निधन पर शोक भी नहीं मनाया। इसके साथ ही, उन्होंने महर्षि वाल्मीकि जयंती पर शुभकामनाएं भी दीं। इस लेख में जानें मायावती के तीखे बयानों के बारे में।
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मायावती ने कांशीराम के प्रति सपा और कांग्रेस के रवैये पर उठाए सवाल

मायावती का तीखा बयान

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की नेता मायावती ने समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस पर कांशीराम के प्रति उनके नकारात्मक रवैये के लिए कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि बसपा के संस्थापक और बहुजन आंदोलन के अग्रदूत कांशीराम के प्रति इन दलों का दृष्टिकोण हमेशा जातिवादी और द्वेषपूर्ण रहा है।


जातिवादी व्यवस्था का शिकार

मायावती ने मंगलवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर एक पोस्ट में लिखा कि देश में जातिवादी व्यवस्था के शिकार करोड़ों दलित, आदिवासी और अन्य पिछड़े वर्ग के लोगों को शोषित से शासक वर्ग में बदलने के लिए बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर के मिशन को आगे बढ़ाने वाले कांशीराम के प्रति सपा और कांग्रेस का रवैया हमेशा से नकारात्मक रहा है।


सपा की संगोष्ठी पर टिप्पणी

उन्होंने कहा कि सपा प्रमुख द्वारा 9 अक्टूबर को कांशीराम के परिनिर्वाण दिवस पर संगोष्ठी आयोजित करने की घोषणा 'मुँह में राम, बगल में छुरी' कहावत को सही साबित करती है। मायावती ने आरोप लगाया कि सपा ने कांशीराम के जीवनकाल में उनके आंदोलन को कमजोर करने की कोशिश की और बसपा सरकार द्वारा 2008 में बनाए गए कांशीराम नगर जिले का नाम भी बदल दिया।


दलित विरोधी सोच का आरोप

उन्होंने कहा कि यह सपा की दलित विरोधी सोच को दर्शाता है। मायावती ने यह भी कहा कि कांशीराम के निधन पर जब पूरा देश शोक में था, तब सपा सरकार ने एक दिन का राजकीय शोक भी नहीं घोषित किया। कांग्रेस की केंद्र सरकार ने भी राष्ट्रीय शोक की घोषणा नहीं की। उन्होंने आरोप लगाया कि दोनों पार्टियां केवल वोटों की राजनीति के लिए कांशीराम का नाम लेती हैं।


महर्षि वाल्मीकि जयंती की शुभकामनाएं

एक अन्य पोस्ट में, मायावती ने महर्षि वाल्मीकि जयंती पर देशवासियों और उनके अनुयायियों को शुभकामनाएं दीं।