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मालेगांव ब्लास्ट मामले में NIA कोर्ट ने सभी 7 आरोपियों को बरी किया

मालेगांव ब्लास्ट मामले में NIA कोर्ट ने सभी 7 आरोपियों को बरी कर दिया है। जस्टिस लाहोटी ने अपने फैसले में आतंकवाद के धर्म से जुड़ी महत्वपूर्ण टिप्पणियां की हैं। कोर्ट ने सबूतों की कमी और जांच में खामियों पर भी सवाल उठाए। जानें इस ऐतिहासिक फैसले की पूरी कहानी और अदालत की टिप्पणियों के बारे में।
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मालेगांव ब्लास्ट मामले में NIA कोर्ट ने सभी 7 आरोपियों को बरी किया

NIA कोर्ट का फैसला: सभी आरोपियों को बरी किया गया

मालेगांव ब्लास्ट NIA कोर्ट ने सभी 7 आरोपियों को बरी कर दिया: मालेगांव ब्लास्ट मामले में NIA कोर्ट ने सभी सात आरोपियों को निर्दोष ठहराया है। जस्टिस लाहोटी ने अपने निर्णय में कई महत्वपूर्ण टिप्पणियां की हैं। अदालत ने कहा कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता और किसी भी धर्म द्वारा आतंकवाद का समर्थन नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि इस मामले में 'फेक नैरेटिव' बनाने का प्रयास किया गया था।


जांच में खामियां: सबूतों की कमी

कोर्ट ने अपने निर्णय में कई सवाल उठाए। जस्टिस लाहोटी ने कहा कि ब्लास्ट से पहले घटनास्थल पर बाइक किसने पार्क की, इसके बारे में चार्जशीट में कोई ठोस सबूत नहीं है। इसके अलावा, पुलिस को आरोपी कर्नल पुरोहित के घर पर RDX का कोई प्रमाण नहीं मिला। अदालत ने कहा कि पुलिस के पास आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं हैं। उल्लेखनीय है कि मालेगांव बम धमाका 29 सितंबर 2008 को हुआ था, जिसमें 6 लोगों की जान गई और लगभग 100 लोग घायल हुए थे।


सरकार की जांच में कमी: सबूतों का अभाव

घटनास्थल से सबूतों का अभाव


कोर्ट ने कहा कि जांच एजेंसियों ने घटनास्थल पर सही तरीके से साक्ष्य एकत्रित नहीं किए। जब घटना के बाद हंगामा हुआ, तब पुलिस ने मौके पर पत्थरों को सीज नहीं किया। अदालत ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार इस मामले में साजिश साबित करने में पूरी तरह असफल रही है।


अदालत ने घायलों की संख्या पर उठाए सवाल

साक्ष्यों की लापरवाही


अदालत ने कहा कि मामले में फिंगर सैंपल एकत्र नहीं किए गए और बाइक का चेसिस रिस्टोर नहीं किया गया। साध्वी प्रज्ञा ठाकुर की बाइक की मालिक तो थीं, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि बाइक किसके कब्जे में थी। कोर्ट ने यह भी कहा कि घायलों की संख्या 101 नहीं, बल्कि 95 थी।