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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का आश्वासन, लेकिन फीस माफी का मामला बना चर्चा का विषय

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक बच्ची की स्कूल फीस माफ करने का आश्वासन दिया, लेकिन स्कूल प्रबंधन ने इसे मानने से इनकार कर दिया। पंखुड़ी त्रिपाठी, जो आर्थिक संकट का सामना कर रही है, ने मुख्यमंत्री से मदद मांगी थी। इस मामले ने राजनीतिक तूल पकड़ लिया है, जहां समाजवादी पार्टी के प्रमुख ने सरकार पर सवाल उठाए हैं। क्या मुख्यमंत्री का आश्वासन सिर्फ एक दिखावा है? जानिए पूरी कहानी।
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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का आश्वासन, लेकिन फीस माफी का मामला बना चर्चा का विषय

मुख्यमंत्री का आश्वासन और स्कूल की अनसुनी

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जनता दरबार में एक बच्ची की उम्मीदें तब जगीं जब मुख्यमंत्री ने उसकी स्कूल फीस माफ करने का आश्वासन दिया. सातवीं कक्षा में पढ़ने वाली पंखुड़ी त्रिपाठी ने अपने सपनों को टूटने से बचाने के लिए मुख्यमंत्री से गुहार लगाई थी. लेकिन जब आश्वासन के बाद भी स्कूल ने फीस माफ नहीं की, तो पूरा मामला चर्चा में आ गया है. एक ओर बेटी की पढ़ाई खतरे में है, तो दूसरी ओर सरकारी वादों की हकीकत पर सवाल उठ रहे हैं.


गौरतलब है कि पंखुड़ी त्रिपाठी ने 1 जुलाई को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जनता दरबार में अपनी परेशानी रखी थी. उन्होंने सीएम से गुज़ारिश की थी कि उनकी स्कूल फीस माफ कर दी जाए, क्योंकि उनके पिता बेरोजगार हैं और परिवार आर्थिक संकट से जूझ रहा है. सीएम ने तुरंत कहा, “या तो फीस माफ होगी, या फिर उसका इंतजाम किया जाएगा.” लेकिन जब पंखुड़ी अपने पिता के साथ स्कूल पहुंचीं, तो स्कूल प्रबंधन ने यह कहकर मना कर दिया कि ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है.


स्कूल प्रबंधन की दलील

‘अगर फीस माफ करेंगे, तो संस्थान कैसे चलेगा’


पंखुड़ी और उसके पिता के अनुसार, स्कूल प्रबंधन ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया और कहा कि अगर एक को छूट दी गई, तो बाकी भी मांग करेंगे, जिससे संस्थान आर्थिक रूप से नहीं चल पाएगा. स्कूल की ओर से कहा गया कि शिक्षकों को वेतन देना होता है, इसलिए फीस माफ नहीं की जा सकती. स्कूल आरएसएस की शिक्षा शाखा विद्या भारती चलाती है, और 7वीं कक्षा की मासिक फीस ₹1650 है. फिलहाल पंखुड़ी की कुल बकाया फीस करीब ₹18,000 है.


पढ़ाई में आ रही बाधाएं

आर्थिक तंगी बनी पढ़ाई की दीवार


पंखुड़ी के पिता का नाम राजीव कुमार त्रिपाठी है, जो एक दुर्घटना में पैर में चोट लगने के बाद नौकरी खो चुके हैं. परिवार में दो बच्चे हैं, बेटा 12वीं कक्षा में पढ़ रहा है और पंखुड़ी 7वीं में. आर्थिक तंगी के कारण फरवरी के बाद से पंखुड़ी स्कूल नहीं जा पा रही थी. राजीव ने मीडिया को बताया, “बेटे का आखिरी साल है, इसलिए सोचा कि बेटी को एक साल के लिए स्कूल से निकाल लें.” लेकिन फिर उन्होंने जनता दरबार में पहुंचने का फैसला किया.


राजनीतिक प्रतिक्रियाएं

मामले पर गर्मायी राजनीति


इस पूरे मामले ने राजनीतिक तूल पकड़ लिया है. समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने भाजपा और योगी सरकार पर तंज कसते हुए कहा, “यही है बीजेपी के नारे ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ की सच्चाई.” उन्होंने कहा कि जो लोग खुद पैसे जमा करने में लगे हैं, वे किसी की फीस क्या माफ करेंगे. हालांकि, पंखुड़ी का परिवार अब भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर भरोसा कर रहा है. पंखुड़ी के पिता का कहना है, “हम मठ और महाराज जी से जुड़े हैं. हमें विश्वास है कि वे मेरी बेटी की पढ़ाई जारी रखने में मदद करेंगे.”