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मॉनसून सत्र से पहले विपक्ष की रणनीति बैठक

संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरू होने वाला है, और इससे पहले विपक्ष ने इंडिया ब्लॉक की बैठक आयोजित की। इस बैठक में विदेश नीति, एसआईआर, और अहमदाबाद विमान हादसे जैसे मुद्दों पर चर्चा की गई। आम आदमी पार्टी की अनुपस्थिति ने सवाल उठाए हैं कि क्या वे इंडिया ब्लॉक से किनारा कर रहे हैं। इसके अलावा, बिहार में विपक्षी एकजुटता की स्थिति भी चर्चा का विषय है। जानें इस बैठक के पीछे की रणनीति और विपक्ष की चुनौतियाँ।
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मॉनसून सत्र से पहले विपक्ष की रणनीति बैठक

विपक्ष की बैठक से पहले मानसून सत्र

विपक्ष की बैठक से पहले: संसद का मानसून सत्र कल, यानी 21 जुलाई से आरंभ हो रहा है। इससे पहले, इंडिया ब्लॉक ने सरकार को घेरने की योजना बनाने के लिए एक बैठक आयोजित की। इस बैठक में आठ महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की गई, जिसमें विदेश नीति, एसआईआर, ऑपरेशन सिंदूर और अहमदाबाद विमान दुर्घटना जैसे विषय शामिल थे। हालांकि, आम आदमी पार्टी इस बैठक से अनुपस्थित रही, जिससे यह सवाल उठता है कि उन्होंने इंडिया ब्लॉक से किनारा क्यों किया। इसके अलावा, पिछले तीन चुनावों में विपक्ष को हार का सामना करना पड़ा है, जिसमें महाराष्ट्र, हरियाणा और दिल्ली शामिल हैं। क्या विपक्ष अब फिर से संगठित होने का प्रयास कर रहा है?


इंडिया ब्लॉक की प्रासंगिकता पर सवाल

कुछ महीने पहले, जब महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की तैयारी चल रही थी, तब शिवसेना यूबीटी के नेता संजय राउत ने कहा था कि इंडिया ब्लॉक केवल लोकसभा चुनाव तक के लिए था और अब इसकी कोई प्रासंगिकता नहीं है। लेकिन हाल ही में महाराष्ट्र, हरियाणा और दिल्ली में विपक्ष और कांग्रेस की हार के बाद एक बार फिर इस बैठक का आयोजन किया गया है, जो कि चौंकाने वाला है। पहले बजट सत्र के दौरान भी इंडिया ब्लॉक की बैठक हुई थी, लेकिन इस बार की बैठक का उद्देश्य सरकार को घेरना और चुनाव में जीत हासिल करना है।


एसआईआर की प्रक्रिया कई राज्यों में

कई राज्यों में एसआईआर की प्रक्रिया


बिहार चुनाव के बाद, एसआईआर की प्रक्रिया आगामी चुनावी राज्यों में भी लागू होगी, जिसमें केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और असम शामिल हैं। इन राज्यों में अगले वर्ष विधानसभा चुनाव होने हैं, इसलिए आयोग द्वारा वोटर लिस्ट की समीक्षा की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। सभी पार्टियां इस मुद्दे को लेकर चिंतित हैं, खासकर टीएमसी, जो पश्चिम बंगाल में इसका विरोध कर रही है। इसी तरह, तमिलनाडु में डीएमके और केरल में सीपीएम भी इसका विरोध कर रही हैं। विपक्षी एकजुटता के बिना यह संभव नहीं है, क्योंकि यहां का वोट बैंक विपक्ष को लाभ पहुंचाता है।


ममता बनर्जी का विरोध

ममता को अस्तित्व का खतरा


पश्चिम बंगाल में एसआईआर का विरोध ममता बनर्जी ने पहले ही शुरू कर दिया है। उन्होंने अपने भतीजे अभिषेक को इंडिया ब्लॉक की ऑनलाइन मीटिंग में शामिल होने के लिए कहा है, ताकि वामपंथी और कांग्रेस जैसी पार्टियों का समर्थन मिल सके। इससे पहले, ममता ने इंडिया ब्लॉक से किनारा कर लिया था, जिसमें उनकी खुद की महत्वाकांक्षाएं भी शामिल हैं। वह विपक्ष की सबसे बड़ी नेता बनना चाहती हैं, लेकिन उनकी पार्टी का विस्तार केवल पश्चिम बंगाल तक सीमित है, जो उनकी सबसे बड़ी दुविधा है।


बिहार में स्थिति सामान्य

बिहार में सब कुछ ठीक


बिहार में चुनाव से पहले विपक्षी एकजुटता की परख के लिए यह बैठक आवश्यक थी। हाल ही में तेजस्वी और राहुल गांधी के बीच मनमुटाव की खबरें आई थीं, लेकिन एसआईआर के मुद्दे पर दोनों दलों के एक साथ आने से यह दूरियां कम होती दिख रही हैं। पटना में विरोध प्रदर्शन के दौरान भी दोनों को एक साथ देखा गया था। तेजस्वी कांग्रेस की आक्रामक रणनीति के कारण चिंतित थे, लेकिन अब महागठबंधन में सब कुछ ठीक नजर आ रहा है।