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मोहन भागवत का भाषण: आत्मनिर्भरता और हिंदुत्व की परिभाषा

आरएसएस के 100 साल के अवसर पर मोहन भागवत ने आत्मनिर्भरता और हिंदुत्व की परिभाषा पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि स्वदेशी का मतलब विदेशों से संबंध नहीं तोड़ना है। भागवत ने सत्य और प्रेम को हिंदुत्व का आधार बताया और कहा कि दुनिया अपनेपन से चलती है। उन्होंने संघ के भविष्य के लक्ष्यों पर भी प्रकाश डाला। जानें उनके विचार और संघ का अगला कदम क्या होगा।
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मोहन भागवत का भाषण: आत्मनिर्भरता और हिंदुत्व की परिभाषा

आरएसएस के 100 साल: आत्मनिर्भरता का महत्व

मोहन भागवत का भाषण आरएसएस के 100 साल के अवसर पर: आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत ने आत्मनिर्भरता के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि स्वदेशी का मतलब यह नहीं है कि विदेशों से संबंध नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार जारी रहना चाहिए, लेकिन यह दबाव में नहीं होना चाहिए, बल्कि आपसी सहमति पर आधारित होना चाहिए। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि कोक पीने के बजाय शिकंजी क्यों नहीं पी सकते? अपने राज्य से गाड़ी खरीदने की बजाय बाहर से क्यों लाना? अंतरराष्ट्रीय व्यापार में स्वेच्छा से संबंध बनाने चाहिए, न कि मजबूरी में।


दुनिया का संचालन: सौदे से नहीं, अपनेपन से

भागवत ने आगे कहा कि संघ में प्रोत्साहन नहीं, बल्कि नकारात्मकता अधिक है। संघ का उद्देश्य हिंदू राष्ट्र का विकास करना है, जिसका मुख्य लक्ष्य विश्व कल्याण है। उन्होंने चेतावनी दी कि उपभोग की प्रवृत्ति से दुनिया संकट में आ जाती है। उन्होंने कहा कि दुनिया अपनेपन से चलती है, न कि सौदों से। सत्य और प्रेम हिंदुत्व का आधार हैं।


हिंदुत्व की विचारधारा

मोहन भागवत ने हिंदुत्व की परिभाषा देते हुए कहा कि यदि इसे संक्षेप में बताना हो तो दो शब्द हैं – सत्य और प्रेम। उन्होंने कहा कि दुनिया एकता पर चलती है, यह सौदों पर नहीं चलती। उन्होंने यह भी बताया कि धर्म एक सत्य तत्व है, जिसके आधार पर सब कुछ चलता है। हमें धर्म के साथ आगे बढ़ना है, और यह धर्मांतरण से नहीं, बल्कि अपने आचरण से होगा।


संघ का भविष्य

भागवत ने कहा कि व्यक्ति का अहंकार शत्रुता पैदा करता है, और राष्ट्र का अहंकार राष्ट्रों के बीच शत्रुता का कारण बनता है। उन्होंने भारतीय समाज को उदाहरण प्रस्तुत करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि संघ की विश्वसनीयता पर समाज का विश्वास है, और यही कारण है कि संघ 100 वर्ष पूरे कर रहा है। उनका अगला कदम यह होगा कि संघ के कार्य पूरे समाज में लागू हों।