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म्यांमार में चुनाव: सैन्य तख्तापलट के बाद की स्थिति और विवाद

म्यांमार में रविवार को मतदान प्रक्रिया शुरू हुई, जो सैन्य तख्तापलट के पांच साल बाद हो रही है। सत्ताधारी जुंटा इसे लोकतंत्र की वापसी बता रहा है, जबकि विपक्ष और अंतरराष्ट्रीय समुदाय इसे दिखावा मानते हैं। आंग सान सू की की अनुपस्थिति और वोटरों की उदासीनता इस चुनाव को विवादित बना रही है। जानें इस चुनाव के पीछे की सच्चाई और लोगों की राय।
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म्यांमार में चुनाव: सैन्य तख्तापलट के बाद की स्थिति और विवाद

म्यांमार में मतदान की शुरुआत

म्यांमार में सैन्य तख्तापलट के पांच साल बाद, रविवार को कड़ी सुरक्षा और पाबंदियों के बीच मतदान प्रक्रिया शुरू हुई। जबकि सत्ताधारी सैन्य जुंटा इसे 'लोकतंत्र की वापसी' के रूप में पेश कर रहा है, विपक्षी दलों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने इसे एक 'दिखावा' करार दिया है।


चुनाव के विवादों के कारण

लोकप्रिय नेता की अनुपस्थिति


देश की प्रमुख नागरिक नेता आंग सान सू की अभी भी 27 साल की सजा काट रही हैं। उनकी पार्टी को भंग कर दिया गया है, जिससे वह इस चुनाव में भाग नहीं ले पा रही हैं.


वोटरों की उदासीनता


2020 के चुनावों में जहां लंबी कतारें देखी गई थीं, वहीं इस बार मतदान केंद्रों पर सन्नाटा छाया रहा। यांगून और मांडले जैसे बड़े शहरों में वोटरों की संख्या सुरक्षाकर्मियों और पत्रकारों से कम थी.


अधूरे चुनाव


देश गृह युद्ध की चपेट में है, जिसके कारण विद्रोही समूहों के कब्जे वाले क्षेत्रों में मतदान नहीं हो रहा है। सेना ने खुद स्वीकार किया है कि निचले सदन की लगभग 20% सीटों पर चुनाव कराना संभव नहीं है.


दमन और पाबंदियों का माहौल

संयुक्त राष्ट्र और पश्चिमी देशों ने इस चुनावी प्रक्रिया की कड़ी निंदा की है। मानवाधिकार प्रमुख वोल्कर तुर्क के अनुसार, यह चुनाव 'हिंसा और दमन' के माहौल में हो रहा है। जुंटा सरकार ने चुनाव का विरोध करने या आलोचना करने के आरोप में 200 से अधिक लोगों पर मुकदमा चलाया है.


लोगों की राय

यांगून के एक मतदान केंद्र पर वोट देने पहुंचे 63 वर्षीय बो सॉ ने कहा, 'हमारी प्राथमिकता शांति और सुरक्षा बहाल करना होनी चाहिए.'


वहीं, जंगलों में छिपे विद्रोही समूहों और विस्थापित लोगों में भारी गुस्सा है। हवाई हमलों से बचकर भाग रही 40 वर्षीय मो मो म्यिंट ने कहा, 'जब इस सेना ने हमारी जिंदगी बर्बाद कर दी है, तो हम उनके चुनाव का समर्थन कैसे कर सकते हैं? यह चुनाव कभी निष्पक्ष नहीं हो सकता.'


सेना का इरादा

विशेषज्ञों का मानना है कि यह चुनाव सैन्य समर्थक 'यूनियन सॉलिडेरिटी एंड डेवलपमेंट पार्टी' को सत्ता दिलाने का एक माध्यम है। इसे 'मार्शल लॉ' को नया रूप देने की कोशिश कहा जा रहा है। सैन्य प्रमुख मिन आंग हलिंग ने इसे सुलह का रास्ता बताया है, लेकिन विपक्षी गुटों ने स्पष्ट किया है कि वे अपनी लड़ाई जारी रखेंगे.


चुनाव के अगले चरण

यह चुनाव तीन चरणों में आयोजित किया जाएगा। दूसरा चरण दो हफ्ते बाद होगा, जबकि अंतिम चरण 25 जनवरी को निर्धारित है.