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यमन में भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की फांसी: क्या खत्म होगी एक और जिंदगी?

निमिषा प्रिया, एक 37 वर्षीय भारतीय नर्स, यमन में हत्या के आरोप में फांसी की सजा का सामना कर रही हैं। उनके मामले में कई जटिलताएं हैं, जिसमें यमन की राजनीतिक स्थिति और ब्लड मनी का प्रावधान शामिल है। जानें कैसे निमिषा की जिंदगी एक गंभीर मोड़ पर आ गई है और उनके परिवार और भारत सरकार की कोशिशें क्यों विफल हो रही हैं। क्या 16 जुलाई को उनकी फांसी होगी? जानने के लिए पढ़ें पूरा लेख।
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यमन में भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की फांसी: क्या खत्म होगी एक और जिंदगी?

निमिषा प्रिया की मुश्किलें बढ़ीं

भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की स्थिति अब बेहद गंभीर हो गई है। केरल की 37 वर्षीय यह नर्स 16 जुलाई को यमन में फांसी की सजा का सामना करने वाली हैं। उन पर यमन के नागरिक तलाल महदी की हत्या का आरोप है। आठ वर्षों से जेल में बंद निमिषा की सजा को यमन की अदालत, सर्वोच्च न्यायिक परिषद और राष्ट्रपति ने भी बरकरार रखा है। अब उनके परिवार और भारत सरकार की सभी कोशिशें विफल होती नजर आ रही हैं।


यमन में जीवन की शुरुआत

निमिषा प्रिया ने 2011 में यमन की राजधानी सना में नर्स के रूप में काम करना शुरू किया। वहां उन्होंने अपनी मेहनत से एक क्लीनिक खोला, जिसमें यमन के नागरिक तलाल महदी उनके साझेदार थे। शुरुआत में सब कुछ ठीक रहा, लेकिन जल्द ही तलाल के साथ उनके रिश्ते बिगड़ गए। आरोप है कि तलाल ने निमिषा के साथ हिंसा की। 2016 में तलाल को शोषण और हिंसा के आरोप में जेल भेजा गया, लेकिन 2017 में वह बाहर आकर फिर से निमिषा को परेशान करने लगा।


हत्या का मामला और उसके परिणाम

यह बताया गया है कि तलाल ने निमिषा का पासपोर्ट जब्त कर लिया था और उन्हें ब्लैकमेल कर रहा था। पासपोर्ट वापस पाने के लिए निमिषा ने उसे नशीला इंजेक्शन दिया, लेकिन ओवरडोज़ के कारण तलाल की मृत्यु हो गई। आरोप है कि निमिषा और उनके साथी अब्दुल हनान ने मिलकर तलाल की लाश के टुकड़े कर पानी के टैंक में फेंक दिए। इस घटना के बाद दोनों को गिरफ्तार किया गया और 2018 में निमिषा को हत्या का दोषी ठहराया गया। 2020 में उन्हें मौत की सजा सुनाई गई, जबकि हनान को उम्रकैद की सजा मिली।


ब्लड मनी और सरकार की कोशिशें

यमन के कानून में ब्लड मनी का प्रावधान है, जिससे फांसी की सजा को टाला जा सकता है। निमिषा की मां प्रेमा कुमारी ने महदी के परिवार से बातचीत की, लेकिन वे मुआवजे के लिए राजी नहीं हुए। भारत सरकार ने भी इस मामले में हस्तक्षेप करने की कोशिश की, लेकिन यमन की राजनीतिक स्थिति और हूती विद्रोहियों के नियंत्रण के कारण औपचारिक संपर्क स्थापित करना संभव नहीं हो पाया।


अंतिम स्थिति

सना की जेल, जहां निमिषा बंद हैं, हूती विद्रोहियों के नियंत्रण में है और भारत के साथ उनके राजनयिक संबंध नहीं हैं। यमन में गृहयुद्ध, कूटनीतिक जटिलताएं और ब्लड मनी पर समझौता न होने के कारण अब फांसी टालने का कोई रास्ता नहीं बचा है। 16 जुलाई को निमिषा को फांसी दी जाएगी, और इस तरह एक भारतीय महिला की जिंदगी यमन की राजनीतिक और कानूनी जटिलताओं में समाप्त हो जाएगी।