यूपी में अवैध कब्जे के खिलाफ कार्रवाई पर विवाद बढ़ा
उत्तर प्रदेश में अवैध कब्जों के खिलाफ हाल ही में जारी आदेश ने राजनीतिक विवाद को जन्म दिया है। पंचायत विभाग द्वारा जारी निर्देश में यादव और मुस्लिम समुदायों द्वारा ग्राम सभा की संपत्तियों पर कब्जे हटाने का आदेश दिया गया था। जैसे ही यह आदेश लीक हुआ, विपक्षी दलों ने सरकार पर हमला करना शुरू कर दिया। इस विवाद में समाजवादी पार्टी ने सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए हैं। जानें इस मुद्दे की पूरी कहानी और इसके राजनीतिक प्रभाव।
Aug 5, 2025, 11:22 IST
| यूपी में अवैध कब्जे के खिलाफ कार्रवाई का विवाद
हाल ही में उत्तर प्रदेश में अवैध कब्जों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया है। पंचायत विभाग ने बीडीओ को एक निर्देश जारी किया, जिसमें यादव और मुस्लिम समुदायों द्वारा ग्राम सभा की संपत्तियों पर अवैध कब्जे हटाने का आदेश दिया गया था। जैसे ही यह आदेश लीक हुआ, राजनीतिक हलचल तेज हो गई और विपक्षी दलों ने इसे गंभीर मुद्दा बनाकर सरकार पर हमला करना शुरू कर दिया।सोशल मीडिया पर दो दस्तावेज तेजी से फैल रहे हैं, जिनमें से एक पत्र पंचायती राज विभाग के निदेशक द्वारा सभी जिलाधिकारियों को भेजा गया था। इसे संयुक्त निदेशक सुरेंद्र नाथ सिंह ने हस्ताक्षरित किया था। दूसरा पत्र बलिया जिले के जिला पंचायत अधिकारी अवनीश कुमार द्वारा बीडीओ को जारी किया गया था। अवनीश ने स्वीकार किया कि यह आदेश शासन से प्राप्त हुआ था, लेकिन अब इसे वापस ले लिया गया है।
पत्र में उल्लेख किया गया था कि प्रदेश के 57,691 ग्राम पंचायतों में यादव और मुस्लिम जातियों द्वारा ग्राम सभा की भूमि, तालाब, खाद के गड्ढे, खेल के मैदान, शमशान भूमि और पंचायत भवन पर कब्जा है, जिन्हें मुक्त कराने के लिए विशेष अभियान चलाने का निर्देश दिया गया था। सभी संबंधित अधिकारियों को भाजपा नेता विवेक कुमार श्रीवास्तव के पत्र के आधार पर इस अभियान को अंजाम देने के लिए कहा गया था।
हालांकि, जब अवनीश कुमार से इस अभियान की जिम्मेदारी के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने बताया कि यह आदेश गलती से जारी हुआ था और निरस्त करने का आदेश उन्हें तुरंत नहीं मिला था। उन्होंने यह भी कहा कि अब उक्त आदेश को निरस्त कर दिया गया है।
पंचायती राज विभाग के निदेशक ने इस मामले से दूरी बना ली है। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनके स्तर से ऐसा कोई आदेश नहीं दिया गया था और यह संयुक्त निदेशक की व्यक्तिगत गलती थी, जिसे प्रशासन ने तुरंत सुधार दिया है।
इस विवाद के बीच समाजवादी पार्टी ने सरकार पर तीखा हमला किया है। पार्टी के प्रवक्ता और पूर्व मंत्री मनोज राय धूपचंडी का कहना है कि जो सरकार 'सबका साथ' का नारा देती है, वही जाति और धर्म के आधार पर अवैध कब्जों को लेकर भेदभावपूर्ण नीति अपना रही है। उनका आरोप है कि यह प्रशासन की नीति संविधान की भावना के खिलाफ है और समाज की एकता को कमजोर करने का प्रयास है। उनका कहना है कि जातिवाद और सांप्रदायिकता में उलझी सरकार देश के विकास में योगदान नहीं कर सकती।