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रविवार रात चंद्रग्रहण: चांद का रंग बदलेगा, 5 घंटे का अद्भुत नजारा

रविवार की रात एक अद्भुत चंद्रग्रहण देखने को मिलेगा, जिसमें चांद का रंग बदलते हुए गहरे लाल में नजर आएगा। यह खगोलीय घटना 5 घंटे 27 मिनट तक चलेगी, जिसमें चांद का उजाला धीरे-धीरे धुंधला होगा। जानें इस चंद्रग्रहण के विभिन्न चरणों और इसके पीछे के विज्ञान के बारे में। इसके अलावा, जानें कि यह चंद्रग्रहण पितृपक्ष के श्राद्ध कर्म पर कैसे प्रभाव डालेगा।
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रविवार रात चंद्रग्रहण: चांद का रंग बदलेगा, 5 घंटे का अद्भुत नजारा

चंद्रग्रहण का अद्भुत दृश्य

नई दिल्ली: रविवार की रात एक अनोखा खगोलीय दृश्य देखने को मिलेगा। सामान्यतः सफेद या हल्का भूरा दिखाई देने वाला चांद इस बार चंद्रग्रहण के चलते गहरे लाल रंग में नजर आएगा। पृथ्वी की छाया में आने के कारण चंद्रमा कई बार रंग बदलते हुए एक आकर्षक नजारा पेश करेगा।


दिल्ली में यह चंद्रग्रहण रात 8:58 बजे से शुरू होकर 2:25 बजे तक चलेगा। इस दौरान लोग 5 घंटे 27 मिनट तक इस खगोलीय घटना का आनंद ले सकेंगे। इसे देखने के लिए दिल्ली, नैनीताल और अन्य शहरों में विशेष तैयारियां की गई हैं।


चांद का रंग कैसे बदलेगा

चांद का रंग कैसे बदलेगा
ग्रहण के पहले चरण में चांद का उजाला धीरे-धीरे कम होता जाएगा। रात 8:58 बजे से 9:57 बजे तक यह धुंधलापन बढ़ता जाएगा। इसके बाद पृथ्वी की गहरी छाया चांद पर पड़ने लगेगी और रात 11 बजे तक चंद्रमा पूरी तरह ढक जाएगा। इस दौरान उसका रंग पहले नारंगी और फिर गहरा लाल हो जाएगा। कुछ समय बाद वह फिर से नारंगी रंग में दिखाई देगा।


ग्रहण का अंतिम चरण

ग्रहण का अंतिम चरण रात 1:25 बजे समाप्त होगा। इसके बाद उप-छाया चरण में चंद्रमा फिर से हल्का धुंधला दिखाई देगा और सुबह 2:25 बजे तक यह धुंधलापन पूरी तरह समाप्त हो जाएगा।


ब्लड मून का कारण

ब्लड मून का कारण
नैनीताल स्थित आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान के वरिष्ठ खगोल विज्ञानी डॉ. शशिभूषण पांडे के अनुसार, पूर्ण चंद्रग्रहण के दौरान चांद सूर्योदय और सूर्यास्त जैसा दिखाई देता है। इस समय सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीध में आ जाते हैं। सूर्य की रोशनी पृथ्वी के वायुमंडल से होकर गुजरती है, जहां नीली रोशनी बिखर जाती है और लाल रोशनी चंद्रमा तक पहुंचती है। इसी कारण चांद लालिमा ओढ़ लेता है, जिसे “ब्लड मून” कहा जाता है।


अगले पूर्ण चंद्रग्रहण

अगले पूर्ण चंद्रग्रहण
इस बार का चंद्रग्रहण वर्ष का अंतिम पूर्ण चंद्रग्रहण होगा। अगला पूर्ण चंद्रग्रहण 2 मार्च 2026 को दिखाई देगा। इसके बाद यह क्रम 31 दिसंबर 2028, 25 जून 2029 और 25 अप्रैल 2032 को जारी रहेगा।


श्राद्ध कर्म पर सूतक का प्रभाव

श्राद्ध कर्म पर सूतक का प्रभाव नहीं
यह चंद्रग्रहण भाद्रपद पूर्णिमा की रात को लगेगा। इसी दिन से पितृपक्ष की शुरुआत भी हो रही है। रविवार को पूर्णिमा का श्राद्ध और मातृकुल पितरों का तर्पण किया जाएगा। काशी के विद्वान पंडितों का कहना है कि पितृपक्ष के श्राद्ध कर्म पर चंद्रग्रहण के सूतक का कोई प्रभाव नहीं पड़ता।