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राजद और कांग्रेस की हार की समीक्षा: चुनावी गड़बड़ी के आरोप

राजद और कांग्रेस ने हाल ही में विधानसभा चुनाव में अपनी हार की समीक्षा की। इस दौरान, दोनों पार्टियों ने चुनाव में गड़बड़ी के आरोप लगाए हैं। हर उम्मीदवार के पास गड़बड़ी के सबूत हैं, जिसमें जीवित और मृत मतदाताओं के नामों का मुद्दा शामिल है। राजद के प्रवक्ता ने चुनाव परिणामों पर सवाल उठाते हुए कहा कि 90 फीसदी स्ट्राइक रेट असंभव है। क्या महागठबंधन की हार के पीछे कोई साजिश है? जानें इस लेख में पूरी जानकारी।
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राजद और कांग्रेस की हार की समीक्षा: चुनावी गड़बड़ी के आरोप

राजद की हार की समीक्षा

17 नवंबर को, विधानसभा चुनाव के परिणामों के तीन दिन बाद, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने अपनी हार की समीक्षा की। सभी हारने वाले उम्मीदवारों को पटना बुलाया गया और उनसे चर्चा की गई। साथ ही, जीतने वाले विधायकों के साथ भी समीक्षा की जा रही है। इसके बाद, मंगलवार को कांग्रेस पार्टी अपनी समीक्षा करेगी। लेकिन राजद की समीक्षा से यह स्पष्ट हो गया है कि ईमानदार बातचीत की उम्मीद नहीं है। सभी उम्मीदवारों ने समझ लिया है कि पार्टी के नेता क्या सुनना चाहते हैं और उसी अनुसार हार के कारण बता रहे हैं। दरअसल, चुनाव परिणामों के बाद, राजद के मुख्य प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट साझा किया, जिसमें उन्होंने कहा कि दुनिया में कहीं भी 90 फीसदी स्ट्राइक रेट नहीं होता है और इसे सही नहीं माना जा सकता है। वहीं, राहुल गांधी ने भी कहा कि चुनाव पहले दिन से निष्पक्ष नहीं था।


इसलिए, महागठबंधन की दोनों प्रमुख पार्टियों, राजद और कांग्रेस के नेता चुनाव में गड़बड़ी के आरोप लगा रहे हैं। हर उम्मीदवार के पास किसी न किसी प्रकार की गड़बड़ी के सबूत हैं। कहीं जीवित लोगों के नाम मतदाता सूची से काटे जाने का सबूत है, तो कहीं मृत लोगों के वोट डालने के सबूत हैं। कई उम्मीदवार अदालत जाने की तैयारी कर रहे हैं और राजद कानूनी सहायता प्रदान करने की योजना बना रहा है। हालांकि, पार्टी की ओर से कोई मुकदमा नहीं लड़ा जाएगा, लेकिन कई कम अंतर से हारने वाली सीटों पर चुनौती दी जाएगी। राजद की समीक्षा का निष्कर्ष यह है कि महागठबंधन की इतनी बुरी हार का कोई कारण नहीं है, इसलिए इस चुनाव में गड़बड़ी की गई है। हालांकि, गड़बड़ी के पुख्ता सबूत नहीं हैं, लेकिन संदेह बना हुआ है।


संदेह को बढ़ाने के लिए कुछ आंकड़े पेश किए जा रहे हैं। उदाहरण के लिए, राजद के एक उम्मीदवार ने पार्टी के बड़े नेताओं के सामने बिहार के दोनों उपमुख्यमंत्रियों, सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा को मिले वोटों का आंकड़ा प्रस्तुत किया। सम्राट चौधरी को 1,22,480 वोट मिले हैं, जबकि विजय सिन्हा को 1,22,408 वोट मिले हैं। इन दोनों में सभी छह अंक समान हैं, जिसमें अंतिम तीन अंकों में एक में जीरो बीच में है और दूसरे में जीरो अंत में है। इस आधार पर कहा जा रहा है कि ईवीएम पहले से प्रोग्राम किया गया था। हालांकि, यह केवल संयोग हो सकता है, क्योंकि अधिकतर उम्मीदवारों को इसी के आसपास वोट मिले हैं। फिर भी, ऐसे आंकड़ों को सबूत के रूप में पेश किया जा रहा है और दावा किया जा रहा है कि महागठबंधन को चुनाव हरवाया गया है। राजद और कांग्रेस के नेता जीत-हार के बड़े अंतर को भी मुद्दा बना रहे हैं, लेकिन इसका ठोस आधार नहीं है। इस बार 10 फीसदी अधिक मतदान हुआ है, इसलिए आंकड़े बढ़ने ही थे। लोकसभा चुनाव में एनडीए को 47 फीसदी वोट मिले थे, जो इस बार थोड़ा बढ़ गया है। यदि विपक्षी पार्टियां नतीजों की ईमानदार समीक्षा नहीं करेंगी और अपनी कमजोरियों का पता नहीं लगाएंगी, तो उनकी स्थिति में सुधार नहीं होगा।