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राजनीतिक दांव-पेंच: ओमप्रकाश राजभर का शपथ समारोह में शामिल होना

बिहार विधानसभा चुनाव में ओमप्रकाश राजभर ने एनडीए के खिलाफ प्रचार किया था, लेकिन शपथ समारोह में भाजपा के मंच पर उनकी उपस्थिति ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। जानें कैसे राजभर ने चुनावी दावों के विपरीत शपथ ग्रहण किया और इसका राजनीतिक परिप्रेक्ष्य क्या है।
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राजनीतिक दांव-पेंच: ओमप्रकाश राजभर का शपथ समारोह में शामिल होना

नेताओं की कथनी और करनी का विरोधाभास

राजनीतिक नेताओं की बातों और उनके कार्यों में अक्सर असंगति देखने को मिलती है। इसका एक स्पष्ट उदाहरण 20 नवंबर को पटना के गांधी मैदान में आयोजित शपथ समारोह में देखने को मिला। उत्तर प्रदेश में भाजपा के सहयोगी और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के प्रमुख ओमप्रकाश राजभर मंच पर पीला गमछा लिए हुए थे। ध्यान देने योग्य बात यह है कि गांधी मैदान में दो अलग-अलग मंच बनाए गए थे, जिनमें से एक पर प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री उपस्थित थे, और राजभर उसी मंच पर थे।


चुनाव प्रचार में राजभर की भूमिका

बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान, राजभर ने एनडीए के खिलाफ जोरदार प्रचार किया था। उन्होंने 50 से अधिक सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए और भाजपा तथा जनता दल यू के खिलाफ बयानबाजी की। चुनाव प्रचार के दौरान, उन्होंने राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन की जीत की भविष्यवाणी की थी। उनका कहना था कि जब भी बिहार विधानसभा चुनाव में वोट प्रतिशत बढ़ता है, तब राजद की जीत होती है। इस बार 10 प्रतिशत वोट बढ़ने के कारण उन्होंने राजद की सरकार बनने का दावा किया था। लेकिन जब राजद का सफाया हुआ और एनडीए ने भारी बहुमत से जीत हासिल की, तो राजभर शपथ समारोह में पीला गमछा लेकर पहुंच गए।