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राजेश पायलट की पुण्यतिथि पर कांग्रेस में एकता का संदेश

राजेश पायलट की 25वीं पुण्यतिथि पर आयोजित श्रद्धांजलि कार्यक्रम में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एक मंच पर नजर आए। सचिन पायलट ने अशोक गहलोत को निमंत्रण देकर राजनीतिक मेल-मिलाप का प्रयास किया। गहलोत और पायलट के बीच की पुरानी तनातनी के बावजूद, इस अवसर ने एकता का संदेश दिया। क्या यह कांग्रेस के लिए एक नई शुरुआत का संकेत है? जानें पूरी कहानी।
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राजेश पायलट की पुण्यतिथि पर कांग्रेस में एकता का संदेश

राजेश पायलट की 25वीं पुण्यतिथि

राजेश पायलट की पुण्यतिथि: राजस्थान कांग्रेस के इतिहास में एक महत्वपूर्ण क्षण आया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री और लोकप्रिय नेता स्व. राजेश पायलट की 25वीं पुण्यतिथि मनाई जा रही है। दौसा जिले के भडाना गांव में आयोजित श्रद्धांजलि कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, सचिन पायलट और अन्य वरिष्ठ नेता एक मंच पर उपस्थित हुए। राजेश पायलट, जिन्होंने 2000 में एक सड़क दुर्घटना में अपनी जान गंवाई, न केवल दौसा के लोकप्रिय सांसद रहे, बल्कि केंद्र सरकार में गृह राज्य मंत्री जैसे महत्वपूर्ण पदों पर भी कार्य किया। उनकी सादगी और “राम राम सा” जैसे संवाद आज भी लोगों के दिलों में बसे हुए हैं। सचिन पायलट ने इस अवसर को श्रद्धांजलि देने के साथ-साथ राजनीतिक मेल-मिलाप का भी माध्यम बनाया।


सचिन पायलट का अशोक गहलोत को निमंत्रण

सचिन पायलट ने चार दिन पहले जयपुर में अशोक गहलोत से मुलाकात की और उन्हें कार्यक्रम के लिए आमंत्रित किया। यह मुलाकात लगभग पांच साल के लंबे अंतराल के बाद हुई। दोनों नेताओं के बीच दो घंटे से अधिक समय तक बातचीत हुई। गहलोत ने सचिन के निमंत्रण को स्वीकार करते हुए दौसा में कार्यक्रम में भाग लिया, अपने समर्थक विधायकों और सांसदों के साथ।


गहलोत का बयान

यह मंच केवल श्रद्धांजलि का नहीं, बल्कि राजनीतिक एकता का प्रतीक बन गया। गहलोत और पायलट एक ही मंच पर बैठे, जिससे यह संदेश दिया गया कि राजस्थान कांग्रेस एकजुट है। मीडिया से बातचीत में गहलोत ने कहा कि, 'मैं और सचिन पायलट कब अलग थे? हम हमेशा साथ हैं और हमारे बीच प्यार भी है।' उन्होंने यह भी कहा कि केवल मीडिया में हमारे मतभेदों की कहानियां बनाई जाती हैं।


2020 में हुई थी तनातनी

2020 में राजनीतिक संकट के दौरान दोनों नेताओं के बीच खुलकर तनातनी हुई थी। सचिन पायलट अपने समर्थक विधायकों के साथ दौसा से मानेसर चले गए थे, जिसके बाद गहलोत ने उन पर सरकार गिराने का आरोप लगाया था। इस दौरान गहलोत ने पायलट को 'निकम्मा' और 'नालायक' जैसे शब्द कहे थे। इसके परिणामस्वरूप, पायलट को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया गया था।


2023 विधानसभा चुनावों में साथ

हालांकि, कांग्रेस हाई कमान ने कई बार सुलह कराने की कोशिश की, लेकिन दोनों नेता मंच पर साथ दिखने के बावजूद एक-दूसरे से हाथ मिलाते नहीं दिखाई दिए। 2023 के विधानसभा चुनावों में भी उनकी दूरी स्पष्ट थी, जिसका खामियाजा कांग्रेस को सत्ता गंवाकर भुगतना पड़ा। गहलोत ने पायलट द्वारा लिए गए सरकार विरोधी फैसलों को याद दिलाकर अपनी अदावत को बनाए रखा।


सचिन पायलट की पहल

राजनीति की बारीकियों को समझते हुए, सचिन पायलट ने अपने पिता की पुण्यतिथि को मेल-मिलाप का माध्यम बनाया। यह पहल केवल गहलोत से दूरियों को कम करने की नहीं, बल्कि राजस्थान कांग्रेस में एक नई शुरुआत का संकेत भी हो सकती है। कई कांग्रेस नेताओं ने कहा कि आज का दिन न केवल स्मृति का, बल्कि शायद सुलह का दिन भी बन गया।