राज्यसभा में CISF तैनाती पर मल्लिकार्जुन खड़गे और किरेन रिजिजू के बीच तीखी बहस

राज्यसभा में CISF की तैनाती पर बहस
मंगलवार को राज्यसभा में CISF की तैनाती को लेकर नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू के बीच गर्मागर्म बहस हुई। खड़गे ने कहा कि सदन में CISF की उपस्थिति ने उसकी गरिमा को कम किया है। इसके जवाब में, रिजिजू ने इसे गलत बताते हुए कहा कि केवल मार्शल की तैनाती की अनुमति है।
जेपी नड्डा ने भी इस मुद्दे पर अपनी बात रखते हुए कहा कि यदि कोई डंडा चलाता है और वह मेरी नाक पर लगता है, तो लोकतंत्र वहीं समाप्त हो जाता है।
हंगामे के बीच, खड़गे ने चेयर से कहा, "मैंने आपको लिखा था, मैं विपक्ष की ओर से आपको यह बताना चाहता हूं कि हम इस बात से स्तब्ध हैं कि CISF को सदन के वेल में दौड़ाया गया, जबकि सदस्य अपने लोकतांत्रिक अधिकार का उपयोग कर रहे थे।"
उन्होंने यह भी कहा कि "हमारी संसद का इस स्तर तक गिरना बेहद आपत्तिजनक है और हम इसकी कड़ी निंदा करते हैं। हमें उम्मीद है कि भविष्य में CISF के जवान तब नहीं आएंगे जब सदस्य जनहित के मुद्दे उठा रहे हों।"
संसदीय कार्य मंत्री का स्पष्टीकरण
किरन रिजिजू ने जवाब देते हुए कहा, "मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि विपक्ष के नेता बहुत वरिष्ठ हैं। खड़गे ने कहा था कि सदन में सेना के लोग लाए जाएंगे, लेकिन यह रिकॉर्ड में स्पष्ट है कि केवल मार्शल ही सदन में प्रवेश कर सकते हैं।"
उन्होंने कहा, "उस दिन केवल मार्शल ही यहां थे। इसलिए, विपक्ष के नेता ने गुमराह किया और झूठे तथ्य पेश किए। जब विपक्ष के नेता सभापति को झूठा पत्र लिखते हैं, तो क्या कार्रवाई होनी चाहिए?"
जेपी नड्डा ने कहा कि उन्होंने कई बार कहा है कि वह 40 साल से अधिक समय तक विपक्ष में रहे हैं और विपक्ष को उनसे सीखना चाहिए कि उनका आचरण कैसा होना चाहिए। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में व्यवधान नहीं, अराजकता होती है।