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राज्यसभा में इंडियन पोर्ट बिल-2025 का पारित होना: बंदरगाह विकास की नई दिशा

राज्यसभा ने सोमवार को 'इंडियन पोर्ट बिल-2025' को पारित किया, जो बंदरगाहों के विकास और प्रबंधन को सशक्त बनाने के लिए महत्वपूर्ण है। इस विधेयक का उद्देश्य बंदरगाहों से संबंधित कानूनों का समेकन करना, व्यापार की सुगमता को बढ़ावा देना और भारत की समुद्री तटरेखा का सर्वोत्तम उपयोग सुनिश्चित करना है। केंद्रीय मंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने विधेयक के प्रमुख प्रावधानों पर प्रकाश डाला, जिसमें राज्य समुद्री बोर्डों की स्थापना और प्रदूषण से संबंधित प्रावधान शामिल हैं। जानें इस विधेयक के अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में।
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राज्यसभा में इंडियन पोर्ट बिल-2025 का पारित होना: बंदरगाह विकास की नई दिशा

इंडियन पोर्ट बिल-2025 का पारित होना

नई दिल्ली। राज्यसभा ने सोमवार को 'इंडियन पोर्ट बिल-2025' को मंजूरी दे दी। यह विधेयक पहले ही लोकसभा में पारित हो चुका था। केंद्रीय मंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने इसे राज्यसभा में पेश किया।


इस बिल का मुख्य उद्देश्य बंदरगाहों से संबंधित कानूनों का समेकन करना, एकीकृत बंदरगाह विकास को बढ़ावा देना, व्यापार की सुगमता को सुनिश्चित करना और भारत की समुद्री तटरेखा का सर्वोत्तम उपयोग करना है।


इसके अलावा, यह विधेयक प्रमुख बंदरगाहों के साथ-साथ छोटे बंदरगाहों के प्रभावी प्रबंधन के लिए राज्य समुद्री बोर्डों की स्थापना और सशक्तीकरण का प्रावधान करता है।


केंद्रीय मंत्री सोनोवाल ने बताया कि यह विधेयक कानून बनने पर एकीकृत बंदरगाह विकास को प्रोत्साहित करेगा और भारत की तटीय रेखा के सर्वोत्तम उपयोग को सुनिश्चित करेगा।


उन्होंने यह भी बताया कि यह विधेयक राज्यों में स्टेट मैरीटाइम बोर्ड्स की स्थापना और सशक्तीकरण के साथ-साथ मैरीटाइम स्टेट डेवलपमेंट काउंसिल के गठन का प्रावधान करता है, जिससे बंदरगाह क्षेत्र का संरचित विकास संभव होगा।


इसके अतिरिक्त, विधेयक में प्रदूषण, आपदा, आपात स्थिति, सुरक्षा, नौवहन और डेटा प्रबंधन से संबंधित प्रावधान शामिल हैं। इसमें अंतरराष्ट्रीय दायित्वों के अनुपालन, बंदरगाह संरक्षण और विवादों के समाधान के लिए न्यायिक तंत्र की व्यवस्था का भी उल्लेख है।


सोनोवाल ने प्रस्ताव रखा कि लोकसभा से पारित यह विधेयक राज्यसभा में विचार के लिए लाया जाए और इसे पारित किया जाए। इसके बाद राज्यसभा ने ध्वनिमत से विधेयक को पारित कर दिया।


इससे पहले, नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बिल पर चर्चा के दौरान बिहार में मतदाता सूची के गहन रिव्यू का मुद्दा उठाने का प्रयास किया।


हालांकि, उन्हें इसकी अनुमति नहीं मिली। इसके जवाब में नेता सदन जेपी नड्डा ने कहा कि सरकार कानून संगत किसी भी विषय पर चर्चा के लिए तैयार है, लेकिन विपक्ष के सांसद चर्चा नहीं करना चाहते।


उन्होंने यह भी कहा कि विपक्ष के हंगामे के कारण राज्यसभा के 60 से अधिक घंटे व्यर्थ हो चुके हैं और आरोप लगाया कि पार्टी का विरोध करते-करते ये देश का विरोध करने लगे हैं।