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राहुल गांधी और चुनाव आयोग के बीच बढ़ता विवाद: महाभियोग की मांग

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए हैं, जिससे राजनीतिक हलचल मच गई है। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग ने सत्तारूढ़ भाजपा को लाभ पहुंचाने के लिए मतदाता डेटा में हेरफेर किया है। इसके जवाब में, चुनाव आयोग ने उनके आरोपों को निराधार बताया और माफी मांगने की मांग की। विपक्ष अब मुख्य चुनाव आयुक्त के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने पर विचार कर रहा है। जानें इस विवाद की पूरी कहानी और इसके संभावित परिणाम क्या हो सकते हैं।
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राहुल गांधी और चुनाव आयोग के बीच बढ़ता विवाद: महाभियोग की मांग

राहुल गांधी और चुनाव आयोग के बीच तनाव


राहुल गांधी और चुनाव आयोग के बीच विवाद, नई दिल्ली: कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने हाल के चुनावों में चुनाव आयोग पर बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया है, जिससे विपक्ष और चुनाव आयोग के बीच तनाव बढ़ गया है। इस पर चुनाव आयोग ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की, जबकि विपक्ष मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने पर विचार कर रहा है।


राहुल गांधी के आरोप

राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर आरोप लगाया कि वह सत्तारूढ़ भाजपा को लाभ पहुंचाने के लिए मतदाता डेटा में हेरफेर कर रहा है। उन्होंने 7 अगस्त को कहा कि बेंगलुरु सेंट्रल के महादेवपुरा निर्वाचन क्षेत्र में 'चुराए गए वोटों' ने भाजपा को जीत दिलाने में मदद की। इसके साथ ही, उन्होंने चुनाव आयोग और सत्तारूढ़ दल के बीच मिलीभगत का भी आरोप लगाया।


संविधान का प्रावधान

संविधान के अनुच्छेद 324(5) के अनुसार, मुख्य चुनाव आयुक्त को केवल संसद में महाभियोग प्रस्ताव के माध्यम से ही हटाया जा सकता है, जैसे सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश को हटाया जाता है।


चुनाव आयोग का खंडन

मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने राहुल गांधी के आरोपों को 'निराधार' और 'संविधान का अपमान' बताया। उन्होंने दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि राहुल गांधी को या तो अपने दावों के समर्थन में एक हस्ताक्षरित हलफनामा पेश करना चाहिए या फिर सात दिनों के भीतर माफी मांगनी चाहिए। कुमार ने स्पष्ट किया, 'कोई तीसरा विकल्प नहीं है।'


राहुल गांधी का जवाब

गांधी ने चुनाव आयोग पर पक्षपात का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर ने भी ऐसी ही टिप्पणियां की थीं, लेकिन चुनाव आयोग ने उनसे हलफनामा नहीं मांगा। विपक्ष ने भी चुनाव आयोग पर पक्षपात का आरोप लगाया है।


विपक्ष का एकजुट विरोध

कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने मुख्य चुनाव आयुक्त की आलोचना करते हुए कहा कि उनके बयान किसी स्वतंत्र संवैधानिक संस्था के बजाय भाजपा के किसी पदाधिकारी जैसे लगते हैं। राजद नेता मनोज झा ने चुनाव आयोग पर कठिन सवालों से बचने का आरोप लगाया, जबकि झामुमो सांसद महुआ माजी ने गांधी द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों की प्रामाणिकता पर स्पष्टता की मांग की।


मुख्य आरोप

गांधी ने कहा कि कांग्रेस के शोध में दोहरा नाम, अमान्य पते और कई पंजीकरणों का खुलासा हुआ है, जिसमें महादेवपुरा में 'एक ही पते पर 80 मतदाता' होने के मामले शामिल हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सीसीटीवी और वेबकास्टिंग फुटेज तक पहुँच को केवल 45 दिनों तक सीमित रखना 'सबूतों को नष्ट करने' के समान है।


चुनाव आयोग का प्रतिवाद

मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि मतदाता की गोपनीयता दांव पर है और जोर दिया कि केवल पंजीकृत मतदाताओं ने ही मतदान किया। उन्होंने महाराष्ट्र में मतदाता सूची में हेराफेरी के आरोपों को भी खारिज किया और कहा कि मसौदा तैयार करने के दौरान कोई आपत्ति नहीं उठाई गई थी। कुमार ने कहा, 'झूठ को दोहराने से वह सच नहीं हो जाता। सूरज केवल पूर्व में ही उगता है—सिर्फ किसी के कहने से वह पश्चिम में नहीं उग सकता।'


कुमार ने यह भी कहा कि बिहार में मतदाता सूची संशोधन प्रक्रिया पारदर्शी तरीके से चल रही है और लगभग 7 करोड़ मतदाताओं की विश्वसनीयता पर आधारित है। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग बिना किसी भेदभाव के, हर मतदाता के साथ निडरता से खड़ा है।