राहुल गांधी का केंद्र सरकार पर हमला: मनरेगा के नए विधेयक को बताया गांधी के आदर्शों का अपमान
राहुल गांधी का बयान
नई दिल्ली: कांग्रेस के प्रमुख नेता और राज्यसभा सांसद राहुल गांधी ने मंगलवार को केंद्र सरकार पर मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) को बदलने के लिए लाए गए प्रस्तावित विधेयक पर तीखा हमला किया। उन्होंने इसे महात्मा गांधी के सिद्धांतों का अपमान बताते हुए कहा कि यह गरीब ग्रामीण परिवारों के अधिकारों के खिलाफ एक गंभीर कदम है।
मनरेगा का महत्व
राहुल गांधी ने अपने बयान में कहा कि मनरेगा महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज के सिद्धांत का एक जीवंत उदाहरण है। यह योजना ग्रामीण भारत के लिए एक जीवन रेखा के रूप में कार्य करती है और कोविड-19 महामारी के दौरान ग्रामीण परिवारों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने आरोप लगाया कि एनडीए सरकार इस योजना को कमजोर करने की दिशा में लगातार प्रयास कर रही है।
नए विधेयक की चिंताएँ
केंद्र सरकार अब एमजीएनआरईजीए को समाप्त कर नए 'विकसित भारत गारंटी रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण)' (VB-GRAM G) विधेयक को लागू करने की योजना बना रही है। इस प्रस्तावित योजना में 125 दिनों का रोजगार देने का वादा किया गया है, जिसमें केंद्र और राज्य सरकार 60:40 के अनुपात में खर्च साझा करेंगे। मनरेगा 2005 को इस नए विधेयक के तहत समाप्त कर दिया जाएगा। राहुल गांधी ने कहा कि इस बदलाव से केंद्र को योजना पर केंद्रीकृत नियंत्रण प्राप्त होगा, जिससे राज्यों को 40 प्रतिशत लागत वहन करनी पड़ेगी, और इससे फसल कटाई के समय मजदूरों को महीनों तक रोजगार से वंचित रहना पड़ सकता है।
प्रधानमंत्री मोदी पर आरोप
राहुल गांधी ने यह भी आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को महात्मा गांधी के विचारों और गरीबों के अधिकारों से 'गहरी नफरत' है। उन्होंने कहा कि मनरेगा को केंद्रीकृत नियंत्रण में बदलने का प्रयास मोदी की निरंतर योजना का हिस्सा है। राहुल गांधी ने कहा कि मोदी सरकार अब गरीब ग्रामीण परिवारों की सुरक्षित आजीविका को निशाना बना रही है और युवाओं का भविष्य व्यापक बेरोजगारी के खतरे में डाल रही है।
विपक्ष की प्रतिक्रिया
राहुल गांधी ने स्पष्ट किया कि कांग्रेस और विपक्ष इस जनविरोधी विधेयक के खिलाफ सड़क से लेकर संसद तक विरोध प्रदर्शन करेंगे। उन्होंने इसे महात्मा गांधी के आदर्शों और गरीबों के अधिकारों पर एक बड़ा हमला बताया।
मनरेगा का इतिहास
मनरेगा की स्थापना 2005 में तत्कालीन यूपीए सरकार द्वारा की गई थी। इसे 2009 में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के नाम से जाना जाने लगा। इस योजना के तहत ग्रामीण परिवारों को प्रति वर्ष कम से कम 100 दिन का मजदूरी रोजगार कानूनी गारंटी के साथ मिलता है।
