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राहुल गांधी का चुनावी फर्जीवाड़े पर गंभीर आरोप

राहुल गांधी ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को 'मैच फिक्सिंग' का नाम दिया है, जिसमें उन्होंने भाजपा और चुनाव आयोग के बीच मिलीभगत का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि लाखों फर्जी मतदाता जोड़े गए और मतदान के आंकड़े फर्जी तरीके से बढ़ाए गए। कांग्रेस ने पहले भी चुनाव आयोग से सवाल उठाए थे, लेकिन उनके जवाबों से असंतुष्ट हैं। राहुल गांधी का मानना है कि बिहार में भी ऐसा ही फर्जीवाड़ा होगा। विपक्ष के सामने चुनाव के बहिष्कार और एकजुटता के विकल्प हैं। जानें इस मुद्दे पर और क्या कहा गया है।
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राहुल गांधी का चुनावी फर्जीवाड़े पर गंभीर आरोप

राहुल गांधी का आरोप

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि पिछले साल नवंबर में महाराष्ट्र में हुए विधानसभा चुनाव को 'मैच फिक्सिंग' के समान बताया। उनके अनुसार, भाजपा और चुनाव आयोग के बीच मिलीभगत थी, जिसके चलते भाजपा और उसकी सहयोगी पार्टियों को पहले से ही जीत का आधार दिया गया था। राहुल गांधी का दावा है कि मतदाता सूची में लाखों फर्जी मतदाताओं के नाम जोड़े गए और मतदान के बाद फर्जी आंकड़े प्रस्तुत किए गए। उन्होंने कहा कि कमजोर विधानसभा क्षेत्रों में फर्जी मतदान कराया गया और इसके सबूत छिपा दिए गए। इस मुद्दे पर उन्होंने एक लेख लिखा, जो 13 भाषाओं में 15 समाचार पत्रों में प्रकाशित हुआ।


कांग्रेस के सवाल

कांग्रेस पार्टी ने पिछले साल चुनाव आयोग से इन सवालों को उठाया था। महाराष्ट्र के चुनाव परिणामों के तुरंत बाद, कांग्रेस ने आरोप लगाया कि 2019 से 2024 के बीच 31 लाख नए मतदाता जुड़े, जबकि केवल पांच महीने में 41 लाख नए मतदाता कैसे जुड़े? कांग्रेस ने यह भी पूछा कि मतदान के दिन 58 प्रतिशत का अंतरिम आंकड़ा अगले दिन 66 प्रतिशत कैसे हो गया? इसके अलावा, मतदान के दिन पांच बजे जारी आंकड़ों के बाद दो घंटे में 65 लाख वोट कैसे पड़े? कांग्रेस का कहना है कि फर्जीवाड़े के सबूत मिटा दिए गए। चुनाव आयोग ने इन सवालों के जवाब दिए, लेकिन राहुल गांधी ने फिर से वही सवाल उठाए हैं।


विपक्ष की चुनौती

राहुल गांधी का मानना है कि बिहार में भी महाराष्ट्र की तरह चुनावी फर्जीवाड़ा होगा। यदि ऐसा है, तो विपक्ष के पास क्या विकल्प हैं? क्या वे मानते हैं कि अगर वे फर्जीवाड़े का खुलासा कर देंगे, तो चुनावी प्रक्रिया में सुधार होगा? यह स्थिति क्रिकेट की मैच फिक्सिंग जैसी नहीं है, जहां कोई कप्तान आकर सब कुछ ठीक कर दे। यदि केंद्र सरकार, चुनाव आयोग और भाजपा एक साथ हैं, तो चुनावी प्रक्रिया में सुधार कैसे होगा?


विपक्ष के विकल्प

विपक्ष के पास चुनाव के बहिष्कार का विकल्प है। यदि वे चुनाव की स्वतंत्रता को संदिग्ध मानते हैं और चुनाव का बहिष्कार करते हैं, तो इसका प्रभाव भारत और विदेशों में भी पड़ेगा। बांग्लादेश में पिछले चुनाव में मुख्य विपक्षी पार्टी ने चुनाव का बहिष्कार किया था, जिसके परिणामस्वरूप उनकी सरकार की आलोचना हुई। भारत में तख्तापलट की संभावना नहीं है, लेकिन यदि विपक्ष जनता को यकीन दिलाने में सफल होता है कि चुनाव में गड़बड़ी हो रही है, तो वे सड़कों पर उतर सकते हैं।


एकजुटता की आवश्यकता

राहुल गांधी को विपक्षी पार्टियों को एकजुट करने की आवश्यकता है। उन्हें सबसे पहले महाराष्ट्र की सहयोगी पार्टियों को साथ लेना होगा, फिर अन्य सहयोगियों को भी इस मुद्दे की गंभीरता समझानी होगी। यदि विपक्ष एकजुट होता है और जनता के बीच जाकर अपनी बात रखता है, तो यह समस्या का समाधान निकालने में मदद कर सकता है।


चुनाव आयोग के जवाबों की चुनौती

एक और विकल्प यह है कि विपक्ष चुनाव आयोग के जवाबों को गलत साबित करे। यह एक श्रमसाध्य कार्य है, लेकिन यदि विपक्ष को लोकतंत्र के संकट का एहसास है, तो उन्हें यह करना होगा। कांग्रेस को बूथवार पुरानी और नई मतदाता सूची की जांच करनी चाहिए और यदि नए नाम फर्जी हैं, तो इसे जनता के सामने लाना चाहिए। यदि कांग्रेस ऐसा नहीं करती है और केवल आरोप लगाती है, तो इसे गंभीरता से नहीं लिया जाएगा।