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राहुल गांधी का जर्मनी दौरा: क्या है उनके विवादास्पद बयान का सच?

कांग्रेस नेता राहुल गांधी का जर्मनी दौरा उनके विवादास्पद बयानों के कारण चर्चा का विषय बन गया है। बर्लिन में दिए गए उनके भाषण में उन्होंने भारत की संस्थाओं पर गंभीर आरोप लगाए, जिससे भाजपा ने तीखी प्रतिक्रिया दी। राहुल ने चुनाव प्रक्रिया और राजनीतिक दबाव के मुद्दों पर भी बात की। जानें इस दौरे के पीछे की सच्चाई और भाजपा की प्रतिक्रिया क्या है।
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राहुल गांधी का जर्मनी दौरा: क्या है उनके विवादास्पद बयान का सच?

नई दिल्ली में सियासी हलचल


नई दिल्ली: कांग्रेस के नेता राहुल गांधी, जो वर्तमान में जर्मनी के दौरे पर हैं, ने एक बार फिर से राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है। बर्लिन में एक कार्यक्रम में उन्होंने भारत की संस्थाओं पर 'फुल-स्केल अटैक' का आरोप लगाया, जिसके बाद भारतीय जनता पार्टी ने उनकी टिप्पणियों पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। भाजपा के नेताओं ने राहुल के बयानों को भारत विरोधी करार देते हुए उन पर देश की छवि को खराब करने का आरोप लगाया है।


राहुल गांधी का बर्लिन में बयान

बर्लिन स्थित हर्टी स्कूल में 'Politics Is The Art Of Listening' विषय पर व्याख्यान देते हुए, राहुल गांधी ने कहा कि भारत के संस्थागत ढांचे पर एक व्यापक हमला हो रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने जांच एजेंसियों, जैसे कि ईडी और सीबीआई, को राजनीतिक हथियार बना दिया है।



राहुल ने यह भी कहा कि इन एजेंसियों के पास भाजपा के खिलाफ कोई मामला नहीं है, जबकि विपक्षी दलों और सरकार के विरोधियों पर लगातार कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने यह भी बताया कि यदि कोई व्यवसायी कांग्रेस का समर्थन करता है, तो उसे डराया-धमकाया जाता है।


चुनाव प्रक्रिया पर गंभीर आरोप

राहुल गांधी ने भारत की चुनाव प्रक्रिया पर भी गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि 2024 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत हुई थी, लेकिन परिणाम उनके पक्ष में नहीं आए। इसके अलावा, उन्होंने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 को भी 'निष्पक्ष नहीं' बताया।


उन्होंने डुप्लीकेट वोटरों का मुद्दा उठाते हुए कहा कि कांग्रेस ने चुनाव आयोग से इस पर सवाल पूछे, लेकिन आयोग की ओर से कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। राहुल के अनुसार, भाजपा लोकतांत्रिक व्यवस्था पर विश्वास नहीं करती और समाज को समानता की दृष्टि से नहीं देखती।


विचारधाराओं के बीच संघर्ष

राहुल गांधी ने कहा कि भारत में दो अलग-अलग विचारधाराओं के बीच संघर्ष चल रहा है। एक विचारधारा देश को एक व्यक्ति की इच्छा से चलाना चाहती है, जबकि दूसरी विचारधारा संवाद, विविधता और राज्यों के बीच बातचीत को प्राथमिकता देती है। उन्होंने चेतावनी दी कि मौजूदा विचारधारा से देश में तनाव बढ़ेगा और लोग आपस में लड़ेंगे।


भाजपा की कड़ी प्रतिक्रिया

राहुल गांधी के बयानों पर भाजपा ने कड़ा रुख अपनाया है। केंद्रीय मंत्री शोभा करंदलाजे ने कहा कि राहुल गांधी नेता प्रतिपक्ष नहीं, बल्कि 'एंटी-इंडिया लीडर' की तरह व्यवहार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि राहुल अभी भी एक जिम्मेदार नेता की तरह नहीं, बल्कि एक बच्चे की तरह बर्ताव करते हैं।


भाजपा प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने भी राहुल पर हमला करते हुए कहा कि जो व्यक्ति भारत से प्रेम करता है, वह देश की विफलता की बात नहीं कर सकता। उन्होंने आरोप लगाया कि राहुल गांधी विदेश जाकर भारत के खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं।


जर्मनी दौरे का राजनीतिक प्रभाव

राहुल गांधी इस समय पांच दिवसीय जर्मनी दौरे पर हैं। उनके बयानों ने न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी राजनीतिक बहस को जन्म दिया है। कांग्रेस इसे लोकतंत्र की रक्षा की आवाज बता रही है, जबकि भाजपा इसे देश की छवि को नुकसान पहुंचाने वाला कदम मान रही है।