राहुल गांधी की प्रेस कॉन्फ्रेंस से विपक्ष में नाराजगी बढ़ी

विपक्ष के नेताओं की शिकायतें
कांग्रेस पार्टी के प्रमुख राहुल गांधी के प्रति विपक्षी नेताओं की शिकायतें बढ़ती जा रही हैं। यह शिकायतें व्यक्तिगत नहीं, बल्कि राजनीतिक हैं। कांग्रेस की सहयोगी पार्टियों के नेता राहुल की कार्यशैली को लेकर चिंतित हैं। उन्हें यह स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि राहुल गांधी विपक्ष का पूरा स्पेस अपने लिए सुरक्षित रखना चाहते हैं। अन्य सहयोगी पार्टियों और उनके नेताओं को केवल भीड़ के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। कांग्रेस और राहुल के इकोसिस्टम द्वारा ऐसा प्रचारित किया जा रहा है कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार और भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ केवल राहुल गांधी ही लड़ाई लड़ रहे हैं। राहुल अकेले ही सभी कार्य करते हैं और इसके बाद सोशल मीडिया पर 'वन मैन अपोजिशन' का नैरेटिव तैयार किया जाता है। जैसे प्रधानमंत्री मोदी ने गोवर्धन उठाया है, उसी तरह राहुल ने भी इसे अपने ऊपर लिया है। इस नैरेटिव से कई विपक्षी दलों के बड़े नेता असंतुष्ट हैं।
प्रेस कॉन्फ्रेंस की आलोचना
राहुल गांधी की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद मतदाता सूची में गड़बड़ियों को लेकर नाराजगी और बढ़ गई है। उन्होंने अकेले प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जबकि चुनाव आयोग के खिलाफ सभी विपक्षी पार्टियां एकजुट हैं। यदि राहुल ने सभी विपक्षी नेताओं के साथ मिलकर प्रेस कॉन्फ्रेंस की होती, तो उसका प्रभाव अधिक होता। राहुल की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद शरद पवार ने खुलासा किया कि उन्हें महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले 160 सीटों की जीत की गारंटी दी गई थी। हालांकि, बाद में राहुल और पवार दोनों ने इससे पीछे हटने का निर्णय लिया। यदि राहुल ने इस मुद्दे को भी उठाया होता, तो उसका भी असर होता।
रात्रिभोज का न्योता और विपक्ष की प्रतिक्रिया
विपक्षी दलों को सबसे अधिक नाराजगी इस बात से हुई कि राहुल गांधी ने 7 अगस्त को अकेले प्रेस कॉन्फ्रेंस की और उसी दिन शाम को सभी विपक्षी नेताओं को रात्रिभोज पर आमंत्रित किया। वहां भी प्रेस कॉन्फ्रेंस का पूरा प्रजेंटेशन दिखाया गया। कई नेताओं ने कहा कि यदि दिन में एक साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस की जाती, तो रात में दोबारा वही देखने की आवश्यकता नहीं पड़ती। शुक्रवार को संसद में कई विपक्षी नेताओं ने कहा कि राहुल गांधी चुनाव आयोग के खिलाफ लड़ाई को अपनी व्यक्तिगत लड़ाई बना रहे हैं। वे चाहते हैं कि अन्य विपक्षी दल उनके पीछे चलें। उनकी टीम उन्हें देश के नेता के रूप में प्रस्तुत कर रही है, जबकि अन्य विपक्षी नेता भी इसी तरह की लड़ाई लड़ रहे हैं।
सहयोगी दलों से दूरी
राहुल गांधी इन दिनों सहयोगी दलों के नेताओं से भी नहीं मिल रहे हैं। सार्वजनिक कार्यक्रमों में मुलाकात हो रही है, लेकिन व्यक्तिगत रूप से मिलने का समय नहीं दिया जा रहा है। कम्युनिस्ट पार्टी के एक वरिष्ठ नेता पिछले कई महीनों से समय मांग रहे हैं, लेकिन राहुल ने उन्हें समय नहीं दिया है।