राहुल गांधी की भूमिका: विपक्ष में जिम्मेदारियों का निर्वहन

राहुल गांधी की चुनौतियाँ और विपक्ष की भूमिका
क्या कांग्रेस के नेता राहुल गांधी कुछ ऐसा कर रहे हैं, जो उन्हें नहीं करना चाहिए? यह सवाल इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि उनकी हर गतिविधि पर सत्तारूढ़ भाजपा और सोशल मीडिया में सक्रिय तत्वों द्वारा सवाल उठाए जाते हैं। जब वे युवाओं की बात करते हैं, तो उन पर आरोप लगता है कि वे उन्हें भड़काने का प्रयास कर रहे हैं। लद्दाख के आंदोलन का समर्थन करने पर उन्हें देशद्रोही कहा जाता है। विदेश में जाकर जब वे सरकार की आलोचना करते हैं, तो उन पर आरोप लगता है कि वे देश के खिलाफ काम कर रहे हैं। इसी तरह, जब वे 'वोट चोरी' का मुद्दा उठाते हैं, तो कहा जाता है कि वे संस्थाओं को कमजोर कर रहे हैं।
हालांकि, यह ध्यान देने योग्य है कि ये सभी कार्य विपक्ष के नेता के रूप में उनकी जिम्मेदारियों का हिस्सा हैं। मतदाता केवल सरकार नहीं चुनते, बल्कि विपक्ष का भी चयन करते हैं। 2014 और 2019 में कमजोर विपक्ष चुना गया, लेकिन 2024 में मजबूत विपक्ष की आवश्यकता है। नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने हैं, तो राहुल गांधी भी नेता प्रतिपक्ष हैं। दोनों को अपनी-अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करना है।
राहुल गांधी के पास 21 वर्षों का राजनीतिक अनुभव है, जिसमें से 10 वर्ष उनकी पार्टी सत्ता में रही। इस अनुभव के आधार पर, उन्हें यह विचार करना चाहिए कि क्या वे विपक्ष की भूमिका को सही तरीके से निभा रहे हैं। भाजपा ने 2004 से 2014 के बीच विपक्ष की भूमिका को जिस तरह से निभाया, क्या राहुल गांधी उसी तरह से कर रहे हैं? संसद में हंगामे और नारेबाजी के अलावा, भाजपा ने मीडिया में भी अपनी बात रखी।
आज जब राहुल गांधी विपक्ष में हैं, तब भी भाजपा का नैरेटिव हावी है। कांग्रेस को यह समझने की आवश्यकता है कि क्यों वह प्रभावी विपक्ष की भूमिका नहीं निभा पा रही है। क्या यह भाजपा की ताकत है या कांग्रेस की कमजोरी? पिछले 11 वर्षों में, कांग्रेस कभी भी सरकार को जवाबदेह बनाने में सफल नहीं रही।
राहुल गांधी का चुनाव आयोग पर सवाल उठाना कोई नई बात नहीं है। जब भाजपा विपक्ष में थी, तब उसके नेता भी चुनाव आयोग पर सवाल उठाते थे। इसी तरह, जब राहुल गांधी युवाओं की बात करते हैं और उन्हें 'वोट चोरी' की सच्चाई का एहसास होता है, तो यह विपक्ष के नेता का स्वाभाविक आरोप है।
विदेश जाकर सरकार की आलोचना करने का भी एक लंबा इतिहास है। नरेंद्र मोदी ने खुद विदेश में जाकर अपनी पूर्ववर्ती सरकारों की आलोचना की थी। इसलिए, यह कहना कि विदेश में जाकर आलोचना करना देशद्रोह है, सही नहीं है।
आंदोलनों का समर्थन करना भी विपक्ष की जिम्मेदारी है। राहुल गांधी ने किसान आंदोलन और सीएए के खिलाफ आंदोलनों का समर्थन किया है, जो लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए थे। सरकार का कर्तव्य है कि वह आंदोलनों के साथ संवाद करे और उनकी मांगों को सुने।