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राहुल गांधी की वोट अधिकार यात्रा: देव सूर्य मंदिर में पूजा और परिक्रमा

राहुल गांधी ने बिहार विधानसभा चुनाव से पहले देव सूर्य मंदिर में पूजा की और वहां की चमत्कारिक घटनाओं के बारे में जानकारी प्राप्त की। इस मंदिर का इतिहास और मान्यता इसे विशेष बनाते हैं। कहा जाता है कि एक रात में इस मंदिर ने अपनी दिशा बदल दी थी, जो मुगल शासक औरंगजेब को हैरान कर दिया था। जानें इस मंदिर की अद्भुत कहानियाँ और हर साल मनाए जाने वाले 'देव सूर्य महोत्सव' के बारे में।
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राहुल गांधी की वोट अधिकार यात्रा: देव सूर्य मंदिर में पूजा और परिक्रमा

राहुल गांधी की यात्रा का विवरण

औरंगाबाद: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने वोट अधिकार यात्रा की शुरुआत की। सोमवार को उन्होंने औरंगाबाद के देव सूर्य मंदिर में भगवान भास्कर को जल चढ़ाकर पूजा की और परिक्रमा की। इस दौरान उन्होंने मंदिर के इतिहास के बारे में भी जानकारी प्राप्त की। उनके साथ बिहार विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी भी मौजूद थे। मंदिर पहुंचने पर राहुल गांधी का कार्यकर्ताओं ने गर्मजोशी से स्वागत किया। पूजा के बाद, उनका काफिला रफीगंज की ओर बढ़ा।


देव सूर्य मंदिर का महत्व

यह मंदिर, जो औरंगाबाद जिले के 'देव' नामक स्थान पर स्थित है, सूर्य भगवान को समर्पित है। मान्यता है कि यह मंदिर छठवीं से आठवीं सदी के बीच बना था और इसकी अद्भुत बनावट और नक्काशी इसे विशेष बनाती है। इसे भारत के प्राचीन मंदिरों में से एक माना जाता है और कुछ लोग इसे त्रेता युग का भी मानते हैं।


मंदिर की दिशा बदलने की कहानी

राहुल गांधी की वोट अधिकार यात्रा: देव सूर्य मंदिर में पूजा और परिक्रमा

भारत में कई मंदिरों की कहानियाँ चमत्कारों से भरी हुई हैं। देव सूर्य मंदिर की एक प्रसिद्ध कथा है कि एक रात में इस मंदिर ने अपनी दिशा बदल दी थी। जब मुगल शासक औरंगजेब ने इस मंदिर को नष्ट करने का प्रयास किया, तो पुजारियों ने उससे प्रार्थना की कि वह इसे नष्ट न करे। औरंगजेब ने शर्त रखी कि यदि भगवान सच में शक्तिशाली हैं, तो मंदिर का प्रवेश द्वार एक रात में पूरब से पश्चिम की ओर हो जाए।


चमत्कारिक घटना

पुजारी और स्थानीय लोग उस रात मंदिर में प्रार्थना करते रहे। अगली सुबह जब लोग मंदिर पहुंचे, तो उन्होंने देखा कि मंदिर का मुख्य द्वार वास्तव में पश्चिम की ओर हो गया था। यह देखकर औरंगजेब हैरान रह गया और उसने मंदिर को नष्ट करने का विचार छोड़ दिया। तब से इस मंदिर का प्रवेश द्वार पश्चिम दिशा में है।


मनोकामना पूरी करने वाला स्थान

देव सूर्य मंदिर को लेकर यह मान्यता है कि यहां जो भी सच्चे मन से आता है, उसकी इच्छाएँ पूरी होती हैं। छठ पर्व के दौरान यहां भक्त दूर-दूर से आते हैं और सूर्य को अर्घ्य देते हैं। यह मंदिर उन गिने-चुने स्थानों में से एक है जहां सूर्य भगवान की पूजा अत्यधिक श्रद्धा से की जाती है।


राजा ऐल की कहानी

एक अन्य प्रसिद्ध कहानी के अनुसार, सतयुग के राजा ऐल कुष्ठ रोग से पीड़ित थे। शिकार के दौरान उन्हें प्यास लगी और उन्होंने देव के तालाब से पानी पिया। स्नान करने के बाद उनका रोग ठीक हो गया। उसी रात उन्हें सूर्य भगवान का दर्शन हुआ, जिसके बाद उन्होंने वहां सूर्य मंदिर बनवाया।


देव सूर्य महोत्सव

हर साल 'देव सूर्य महोत्सव' मनाया जाता है, जो पहले स्थानीय स्तर पर होता था, लेकिन 1998 से इसे बड़े पैमाने पर मनाया जाने लगा। इस दिन लोग नमक नहीं खाते और सूर्य की विशेष पूजा करते हैं। इस आयोजन में देशभर से हजारों श्रद्धालु शामिल होते हैं।


मंदिर की स्थापत्य कला

करीब सौ फीट ऊंचा यह मंदिर पत्थरों को जोड़कर बिना किसी चूने या सीमेंट के बनाया गया है। इसमें विभिन्न आकारों के पत्थरों का प्रयोग किया गया है, जिससे इसकी बनावट अत्यंत आकर्षक लगती है। इसकी बनावट ओडिशा के प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर से मेल खाती है।