राहुल गांधी के चुनावी आरोप: लोकतंत्र पर खतरा?
राहुल गांधी का लेख और आरोप
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने 7 जून को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 पर एक लेख लिखा, जो विभिन्न समाचार पत्रों में छपा। इस लेख में उन्होंने आरोप लगाया कि 2024 का चुनाव 'लोकतंत्र में धांधली का ब्लूप्रिंट' था। उन्होंने कहा कि यह फिक्सिंग अब बिहार में भी दोहराई जाएगी और उन क्षेत्रों में भी ऐसा होगा जहां भारतीय जनता पार्टी हार रही है। उनका कहना था कि इस तरह के फिक्स किए गए चुनाव लोकतंत्र के लिए जहर साबित होते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि धोखाधड़ी करने वाला पक्ष भले ही जीत जाए, लेकिन इससे लोकतांत्रिक संस्थाओं की विश्वसनीयता कमजोर होती है और जनता का नतीजों पर भरोसा उठ जाता है।
सोशल मीडिया पर आरोप
गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में चुनाव में कथित अनियमितताओं का विवरण दिया। उन्होंने बताया कि कैसे मतदाता सूची में फर्जी मतदाता जोड़े गए, मतदान प्रतिशत को बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया गया, फर्जी मतदान कराया गया और सबूतों को छिपाया गया। उन्होंने दो अखबारों में प्रकाशित लेख की तस्वीर साझा करते हुए लिखा, 'चुनाव की चोरी का पूरा खेल! 2024 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव लोकतंत्र में धांधली का ब्लूप्रिंट था।' राहुल गांधी ने पांच मुख्य आरोप लगाए: पहले, निर्वाचन आयोग की नियुक्ति करने वाली समिति पर कब्जा किया गया; दूसरे, फर्जी मतदाताओं को सूची में जोड़ा गया; तीसरे, मतदान प्रतिशत को बढ़ा-चढ़ा कर दिखाया गया; चौथे, भाजपा को जिताने के लिए लक्षित फर्जी मतदान कराया गया; और पांचवें, सबूतों को छिपा दिया गया।
चुनाव आयोग का जवाब
राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर आरोप लगाने का यह पहला मौका नहीं है, और आयोग ने पहले भी उनके आरोपों का जवाब दिया है। हाल ही में चुनाव आयोग ने राहुल गांधी को जवाब देते हुए कहा कि 'मैच हारने के बाद रैफरी को दोष देना अब एक नई आदत बन चुकी है।' आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी को उनके सवालों का जवाब पहले ही 24 दिसंबर, 2024 को दिया जा चुका है, और यह जानकारी आयोग की वेबसाइट पर भी उपलब्ध है। आयोग ने राहुल गांधी के आरोपों को बेबुनियाद और कानून का अपमान बताया।
राहुल गांधी की स्थिति
राहुल गांधी, जो देश के सबसे पुराने राजनीतिक दल के वरिष्ठ नेता हैं, भविष्य में प्रधानमंत्री बनने का सपना देख रहे हैं। लेकिन उनके द्वारा उठाए गए मुद्दे और आरोप उनके और कांग्रेस पार्टी के लिए आत्मघाती साबित हो सकते हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और वीर सावरकर पर अतीत में जो टिप्पणियां की हैं, वे विवादास्पद रही हैं। संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को आलोचना का अधिकार है, लेकिन इसे मर्यादा में रहकर करना चाहिए।
आगे की राह
राहुल गांधी के बयान और आरोप यह दर्शाते हैं कि वे संवैधानिक व्यवस्था पर सवाल उठा रहे हैं और कट्टरपंथियों को खुश करने का प्रयास कर रहे हैं। कांग्रेस पार्टी को यह समझना होगा कि देश में हिंदुत्व और राष्ट्रवाद की लहर चल रही है, और इसको समझने में वे असफल रहे हैं। यही कारण है कि कांग्रेसी नेताओं को जनता से जुड़ने में कठिनाई हो रही है। राहुल गांधी के आरोपों के साथ-साथ उनका शारीरिक हाव-भाव यह दर्शाता है कि वे जन भावनाओं को समझ नहीं पा रहे हैं। चुनाव आयोग का यह कहना कि हार के बाद रैफरी पर आरोप लगाने की परंपरा शुरू हो गई है, कुछ हद तक सही है।
समापन
राहुल गांधी और उनके सहयोगियों द्वारा उठाए गए सवालों का जवाब देने के बजाय, उन्हें अपनी रणनीति में सुधार करना चाहिए और जनता का विश्वास जीतने का प्रयास करना चाहिए। आरोप लगाने से कुछ नहीं होगा।
-इरविन खन्ना, मुख्य संपादक