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राहुल गांधी ने इंडिगो एयरलाइन संकट पर केंद्र सरकार को घेरा

इंडिगो एयरलाइन में लगातार उड़ानें रद्द होने और देरी के चलते राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला किया है। उन्होंने इसे सरकार की मोनोपॉली मॉडल वाली नीतियों का परिणाम बताया। राहुल ने कहा कि आम भारतीयों को देरी और रद्दीकरण का सामना करना पड़ रहा है और देश में निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि देश की संस्थाएं अब मोनोपॉली समूहों की सेवा कर रही हैं। जानें उनके विचार और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं इस संकट पर।
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राहुल गांधी ने इंडिगो एयरलाइन संकट पर केंद्र सरकार को घेरा

इंडिगो एयरलाइन की उड़ानों में रद्दी और देरी पर राजनीतिक प्रतिक्रिया

इंडिगो एयरलाइन में लगातार तीसरे दिन उड़ानें रद्द होने और देरी की घटनाओं के बीच राजनीतिक प्रतिक्रियाएं तेज हो गई हैं। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने शुक्रवार को केंद्र सरकार पर तीखा हमला करते हुए इसे सरकार की 'मोनोपॉली मॉडल' वाली आर्थिक नीतियों का परिणाम बताया।


राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर एक समाचार लेख साझा करते हुए लिखा, "इंडिगो का संकट इस सरकार के मोनोपॉली मॉडल की कीमत है। आम भारतीयों को फिर से देरी, रद्दीकरण और बेबसी का सामना करना पड़ रहा है। भारत को हर क्षेत्र में निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा की आवश्यकता है, न कि मैच-फिक्सिंग जैसी मोनोपॉली।"


उन्होंने अपने लेख में कहा कि देश एक ऐसे मोड़ पर खड़ा है जहां भय और मुक्त व्यवसायिक माहौल में से किसी एक को चुनना होगा। ईस्ट इंडिया कंपनी ने आवाज को दबाया था और आज नई मोनोपॉली वही डर वापस ला रही है। ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत को ताकत से नहीं, बल्कि 'मोनोपॉली और दबाव' की नीति से चुप कराया था। आज कुछ उद्योगपतियों ने ऐसा ही माहौल बना दिया है, जिन्होंने विशाल संपत्ति तो बनाई, लेकिन देश में आर्थिक असमानता बढ़ा दी।


कांग्रेस सांसद ने आरोप लगाया कि देश की संस्थाएं अब लोगों की नहीं, बल्कि इन मोनोपॉली समूहों की सेवा करती दिखती हैं। लाखों छोटे व्यापार चौपट हो रहे हैं और देश में नौकरियों का निर्माण नहीं हो पा रहा।


राहुल गांधी ने भारत के कारोबारी समुदाय के बारे में कहा कि वे फोन पर बात करने से भी डरते हैं। उन्हें डर है कि कोई मोनोपॉली समूह और सरकार मिलकर उनके क्षेत्र में घुसपैठ न कर जाए। आईटी, सीबीआई और ईडी के छापों के डर से वे अपने व्यवसाय को बेचने के लिए मजबूर हो सकते हैं।


हालांकि, उन्होंने कुछ उद्योगपतियों और कंपनियों का उल्लेख करते हुए कहा कि वे ईमानदारी से काम कर रहे हैं। राहुल गांधी ने कहा कि ये कंपनियां यह साबित करती हैं कि भारत में बिना मोनोपॉली के भी शानदार सफलता संभव है।


कांग्रेस सांसद ने कहा कि उनकी राजनीति हमेशा कमजोर और आवाजहीन लोगों की सुरक्षा के लिए खड़ी होती है, लेकिन अब उन्होंने समझा है कि व्यवसायिक समुदाय भी एक 'लाइन' में खड़ा है और उस लाइन में अन्याय हो रहा है। सरकार किसी एक व्यवसाय को दूसरों की कीमत पर बढ़ावा नहीं दे सकती। सरकारी एजेंसियों का प्रयोग डराने या दबाव डालने के लिए नहीं होना चाहिए। बैंकों को केवल 100 बड़े उधारकर्ताओं पर निर्भर रहने के बजाय 'प्ले फेयर बिजनेस' को भी समर्थन देना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस देश में बदलाव का इंतजार मत कीजिए, आप ही वह बदलाव हैं जो भारत में रोजगार और विकास लाएगा।