राहुल गांधी ने केंद्र की विदेश नीति पर उठाए सवाल, 'ऑपरेशन सिंदूर' पर मिली असफलता

राहुल गांधी का केंद्र सरकार पर हमला
कांग्रेस के सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने एक बार फिर केंद्र सरकार की विदेश नीति को कठघरे में खड़ा किया है। उन्होंने बुधवार को कहा कि 'ऑपरेशन सिंदूर' जैसे महत्वपूर्ण सैन्य अभियान के दौरान भारत को किसी भी देश का समर्थन नहीं मिला, जो इस बात का प्रमाण है कि वर्तमान सरकार की विदेश नीति पूरी तरह से असफल रही है। यह बयान तब आया है जब ऑपरेशन सिंदूर के परिणामों पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाओं की कमी स्पष्ट है।
भारत के पक्ष में कोई समर्थन नहीं
राहुल गांधी ने बताया कि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 निर्दोष पर्यटकों की मौत के बाद भारतीय सेना ने 7 मई को पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर कार्रवाई की, जिसे 'ऑपरेशन सिंदूर' कहा गया। मोदी सरकार ने इसे केवल आतंकी शिविरों के खिलाफ बताया। इसके बाद भारत ने विभिन्न देशों में प्रतिनिधिमंडल भेजा, लेकिन कोई भी बड़ा देश भारत के समर्थन में खुलकर सामने नहीं आया।
ट्रंप के बयानों पर राहुल का तंज
राहुल गांधी ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बयानों पर भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि ट्रंप बार-बार यह दावा कर रहे हैं कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच संभावित युद्ध को रोका। राहुल ने मजाक में कहा, "डोनाल्ड ट्रंप अब तक 25 बार कह चुके हैं कि उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर को रोका। यह बातें अजीब लगती हैं, कुछ न कुछ गड़बड़ जरूर है।"
अंतरराष्ट्रीय समर्थन की कमी
हाल ही में अमेरिका ने लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े आतंकवादी संगठन TRF को आधिकारिक रूप से आतंकवादी संगठन घोषित किया है, जिसने पहलगाम में हुए हमले की जिम्मेदारी ली थी। राहुल गांधी का कहना है कि यह कार्रवाई बहुत देर से हुई और जब भारत ने पहले ही सैन्य कदम उठाए थे, तब तक कोई अंतरराष्ट्रीय समर्थन नहीं मिला। उनका मानना है कि मोदी सरकार की विदेश नीति ने भारत को रणनीतिक रूप से अकेला कर दिया है।
सिर्फ सैन्य कार्रवाई से नहीं होती देश की ताकत
केंद्र सरकार ने बार-बार कहा है कि ऑपरेशन सिंदूर को पाकिस्तान के अनुरोध पर रोका गया था, न कि किसी बाहरी दबाव के कारण। लेकिन राहुल गांधी के अनुसार, यह सफाई भी दुनिया को संतोषजनक रूप से नहीं दी जा सकी। अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत के प्रयासों के बावजूद न तो कोई साझा बयान आया, न ही कोई कूटनीतिक समर्थन। कांग्रेस नेता का मानना है कि आज की वैश्विक राजनीति में एक देश की ताकत केवल सैन्य कार्रवाई से नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समर्थन और संवाद की स्पष्टता से तय होती है, जिसमें मोदी सरकार असफल रही है।